नयी दिल्ली, 29 जुलाई राज्यसभा में सरकार और विपक्ष के बीच बना गतिरोध बृहस्पतिवार को भी जारी रहा और विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण उच्च सदन की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
हालांकि हंगामे के बीच ही संक्षिप्त चर्चा के बाद फेक्टर विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2021 पारित किया गया और नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया गया।
दूसरी बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई, उपसभापति हरिवंश ने फेक्टर विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम पुकारा।
वित्त मंत्री ने अभी उन्होंने विधेयक को चर्चा के लिए पेश किया भी नहीं था कि एक बार फिर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी दलों सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति के आसन के निकट पहुंच गए और नारेबाजी आरंभ कर दी।
हंगामे के बीच ही विधेयक पेश करते हुए सीतारमन ने कहा कि यह विधेयक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को लाभ मिलेगा। उन्होंने सदस्यों से इस विधेयक को पारित करने का आग्रह किया।
सदन में हंगामा जारी रहने की वजह से चर्चा में हिस्सा लेने वाले कुछ सदस्यों ने विधेयक पर अपने वक्तव्य को सदन के पटल पर रख दिया।
भारतीय जनता पार्टी के शिवप्रताप शुक्ल, तेलंगाना राष्ट्र समिति के के आर सुरेश रेड्डी, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के एम थंबी दुरई और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य के रवींद्र कुमार ने विधेयक का समर्थन किया।
हंगामे के बीच ही सीतारमन ने इस संक्षिप्त चर्चा का जवाब दिया और महज 14 मिनट के भीतर विधेयक को ध्वनि मत से पारित किया गया।
इस विधेयक के पारित होने के तत्काल बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नारियल विकास बोर्ड (संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया।
हालांकि इस दौरान सदन में हंगामा जारी रहा, उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, जब दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल आरंभ किया। इसी बीच हंगामा करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और वामपंथी दलों सहित अन्य विपक्षी दलों के सदस्य सभापति के आसन के निकट पहुंच गए और नारेबाजी आरंभ कर दी।
हंगामे के बीच ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-अमेरिका रिश्तों को लेकर सदस्यों की ओर से पूछे गए सवालों के जवाब दिए। इस दौरान कुछ सदस्यों ने अफगानिस्तान में चीन की भूमिका और दक्षिण चीन सागर को लेकर भी सवाल किए।
हंगामे के दौरान विपक्षी सदस्य ‘‘किसान विरोधी काले कानून वापस लो’’ और ‘‘जासूसी करना बंद करो’’ के नारे लगाते सुने गए।
उपसभापति ने हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों को अपने स्थानों की ओर लौटने और प्रश्न काल सुचारू रूप से चलने देने का आग्रह किया लेकिन उनके आग्रह का कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला।
उपसभापति ने कांग्रेस के सदस्य दीपेंद्र हुड़ा को एक बार चेतावनी भी दी और कहा कि वह सदन के वरिष्ठ सदस्य हैं इसलिए मर्यादाओं का पालन करें।
हंगामे के बीच ही कपड़ा राज्य मंत्री दर्शना जरदोश और महिला व बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी से सदस्यों के सवालों के जवाब दिए।
ईरानी जब सवालों के जवाब दे रही थी तब विपक्षी सदस्यों ने हंगामा ओर तेज कर दिया और ‘‘2024 में खेला होबे’’ का नारा लगाना आरंभ कर दिया। ज्ञात हो कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ‘‘खेला होबे’’ का नारा बहुत लोकप्रिय हुआ था और वहां की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी पार्टी की शानदार जीत के लिए इस नारे को भी एक कारण बताया था।
हंगामा कर रहे सदस्यों को उपसभापति ने बार-बार प्रश्नकाल सुचारू रूप से चलने देने का अनुरोध किया। दो बार उन्होंने सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी लेकिन विपक्षी सदस्यों पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
उपसभापति ने आजादी की स्वर्णजयंती पर राज्यसभा में पारित एक प्रस्ताव का उल्लेख किया और कहा, ‘‘यह आजादी की स्वर्ण जयंती पर पारित प्रस्ताव है लेकिन इसका भी सम्मान नहीं किया जा रहा है...किसी भी नियम का पालन नहीं हो रहा है...यहां तक कोविड-19 के दिशानिर्देशों का भी अनुपालन नहीं हो रहा है।’’
इसके बाद भी जब विपक्षी सदस्यों का हंगामा जारी रहा तक उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
पेगासस जासूसी विवाद, नए कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्षी सदस्यों का हंगामा मौजूदा मानसून सत्र की शुरूआत से ही जारी है।
इससे पहले, आज सुबह जब सदन की बैठक शुरू हुई तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाए। इसके बाद उन्होंने कहा कि उन्हें तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर रॉय, कांग्रेस के रिपुन बोरा, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और विश्वंभर प्रसाद निषाद, राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा, वाम सदस्य इलामारम करीम और विनय विश्वम सहित विभिन्न सदस्यों की ओर से नियम 267 के तहत नोटिस मिले हैं।
सभापति ने कहा कि उन्होंने इन नोटिस पर गौर किया और उन्हें स्वीकार करने योग्य नहीं पाया। इस के बाद सदन में विपक्षी सदस्यों का हंगामा शुरू हो गया।
सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर जाने की अपील की और कहा कि सदस्यों ने उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी पर गौर किया होगा।
सदन में व्यवस्था बनते नहीं देख उन्होंने बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
मौजूदा मानसून सत्र में अब तक राज्यसभा में एक भी दिन शून्यकाल नहीं हो पाया है।
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