संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायोग (यूएनएचसीआर) के आंकड़ों के अनुसार, पलायन करने वाले लोगों की संख्या यूक्रेन की आबादी के दो प्रतिशत से अधिक है. विश्व बैंक के अनुसार 2020 के अंत में यूक्रेन की आबादी चार करोड़, 40 लाख थी. एजेंसी का अनुमान है कि यूक्रेन से अंतत: 40 लाख लोग पलायन कर सकते हैं और यह संख्या अनुमान से भी अधिक हो सकती है. यूएनएचसीआर की प्रवक्ता जोंग-आह घेदिनी-विलियम्स ने एक ईमेल में लिखा कि राष्ट्रीय अधिकारियों की गणना के अनुसार ‘‘हमारे आंकड़े बताते हैं कि मध्य यूरोप में हमने आधी रात में 10 लाख की संख्या पार कर ली.’’ संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त फिलिप्पो ग्रांडी ने ट्वीट किया, ‘‘हमने मात्र सात दिन में यूक्रेन से पड़ोसी देशों में 10 लाख लोगों का पलायन देखा है.’’
यूक्रेन छोड़कर जाने वाले इन लोगों में समाज के अधिकतर कमजोर वर्ग के लोग शामिल हैं, जो पलायन को लेकर स्वयं फैसला करने में सक्षम नहीं हैं और उनकी यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उन्हें सहायता की आवश्यकता है. हंगरी के शहर जाहोनी में बुधवार को 200 से अधिक दिव्यांग यूक्रेनी पहुंचे, जो यूक्रेन की राजधानी कीव में दो आश्रय गृहों में रहते थे. शरणार्थियों में कई बच्चे शामिल हैं. इनमें कई ऐसे लोग शामिल हैं, जो मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं और जिन्हें रूसी हमले के कारण आश्रय केंद्रों को छोड़कर देश से बाहर जाना पड़ा.
कीव में स्वयातोशिंकसी अनाथालय की निदेशक लारिसा लियोनिदोवना ने कहा, ‘‘वहां रहना सुरक्षित नहीं था. रॉकेट गिर रहे थे. वे कीव पर हमला कर रहे थे. हमने बमबारी के दौरान कई घंटे से अधिक समय भूमिगत स्थल में बिताया.’’ शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, यूक्रेन से आधे से अधिक शरणार्थी यानी लगभग 5,05,000 लोग पोलैंड गए हैं, 1,16,300 से अधिक लोगों ने हंगरी में प्रवेश किया है और 79,300 से अधिक लोगों ने मोल्दोवा में प्रवेश किया है. इनके अलावा 71,000 लोग स्लोवाकिया गए हैं और करीब 69,600 लोग अन्य यूरोपीय देशों में चले गए हैं.