नयी दिल्ली, 30 अप्रैल प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने शनिवार को कहा कि अब समय आ गया है कि तदर्थ समितियों से आगे बढ़कर अधिक सुव्यवस्थित, जवाबदेह और संगठित संरचना के लिए एक राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण का गठन किया जाये ताकि न्यायिक बुनियादी ढांचे के मानकीकरण और इसमें सुधार सुनिश्चित हो सके।
उन्होंने कहा कि इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।
उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रमण ने मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन आशंकाओं को दूर किया कि प्रस्तावित प्राधिकरण का उद्देश्य किसी सरकार की शक्तियों को हड़पना है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक अवसंरचना प्राधिकरण में केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ ही सभी संबंधित पक्षों का प्रतिनिधित्व होगा।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''इस बात का अवश्य ध्यान रखा जाना चाहिए कि न्यायापालिका अपनी आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझती है। हालांकि, मौजूदा प्रस्ताव का मकसद बुनियादी ढांचा विकास को विशेष उद्देश्य व्यवस्था के अंतर्गत लाना है जिसका नेतृत्व संबंधित मुख्य न्यायाधीशों द्वारा किया जाएगा और इसमें केंद्र एवं राज्य सरकारों के प्रतिनिधि भी शामिल रहेंगे।''
उन्होंने न्यायिक बुनियादी ढांचे की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ जिला अदालतों का माहौल ऐसा है कि महिला अधिवक्ताओं को प्रवेश करने में डर लगता है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, '' मेरा दृढ़ विश्वास है कि न्यायिक अवसंरचना - कर्मियों और भौतिक बुनियादी ढांचे दोनों के संदर्भ में - की ओर तत्काल ध्यान दिये जाने की जरूरत है। मौजूदा बुनियादी ढांचे और लोगों को न्याय दिलाने की प्रस्तावित आवश्यकताओं में भारी अंतर है। कुछ जिला अदालतों का माहौल ऐसा है कि अदालत कक्ष में घुसने को लेकर महिला मुवक्किलों की तो बात ही छोड़िए, बल्कि महिला अधिवक्ताओं को भी डर लगता है।''
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