मुंबई, पांच फरवरी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में एक अप्रैल से शुरू अगले वित्त वर्ष के लिये जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान रखा। यह केंद्रीय बजट में सरकार के 11 प्रतिशत के अनुमान से कुछ कम है।
हालांकि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अब आर्थिक वृद्धि दर के सिर्फ ऊपर जाने की ही संभावनाएं हैं।
पिछले सप्ताह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक वृद्धि दर 11 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया। इसके साथ ही समीक्षा में कोरोना वायरस महामारी के चलते चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड 7.7 प्रतिशत की गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया गया।
दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था सिर्फ एक दिशा में बढ़ने के लिये तैयार है और वह दिशा ऊपर की ओर है।’’
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, बुनियादी संरचना, नवोन्मेष और शोध समेत अन्य क्षेत्रों के पुनरुद्धार के लिये बजट में ठोस उपाय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इन उपायों का आने वाले समय में बहुगुणक प्रभाव देखने को मिलेगा, खास तौर पर निवेश के माहौल में सुधार होगा, घरेलू मांग में तेजी आयेगी और आय व रोजगार भी बेहतर होगा।
दास ने कहा कि टीकाकरण अभियान से भी आर्थिक पुनरूद्धार को गति मिलेगी। यह संपर्क पर आधारित क्षेत्रों को उबरने में मदद करेगा और वैश्विक बाजार में भारतीय दवा कंपनियों को बढ़त मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारी ठोस अवधारणा है कि 2021-22 में हम कोरोना वायरस महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ी मार को भरने में कामयाब होंगे।’’
दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अगले वित्त वर्ष में सुधरकर 10.5 प्रतिशत पर आने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि पहली छमाही में वृद्धि दर 26.2 प्रतिशत से 8.3 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है तथा तीसरी तिमाही यानी दिसंबर 2021 तिमाही में यह छह प्रतिशत रह सकती है।
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट की घोषणा के बाद आर्थिक मामलों के सचिव तरूण बजाज ने कहा था कि अगले वित्त वर्ष में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 10 से 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि सरकार मार्च अंत तक मुद्रास्फीति लक्ष्य की समीक्षा करेगी।
आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति को सालाना महंगाई दर 31 मार्च 2021 तक 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी दी गयी हुई है।
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