देश की खबरें | बीसीआई के विधि छात्रों से आपराधिक पृष्ठभूमि की जानकारी मांगने में कुछ भी अवैध नहीं : अदालत

मुंबई, 10 फरवरी बम्बई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा जारी परिपत्र में कुछ भी अवैध नहीं है, जिसमें विधि छात्रों से उनकी आपराधिक पृष्ठभूमि (यदि कोई हो) के बारे में जानकारी मांगी गई है।

मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की खंडपीठ ने अशोक येंडे द्वारा दायर उस जनहित याचिका (पीआईएल) पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें बीसीआई के सितंबर 2024 के परिपत्र और मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा जारी उस परिपत्र को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि वह शर्तों का अनुपालन करेगा।

बीसीआई ने सभी शैक्षणिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों को जारी अपने परिपत्र में आपराधिक पृष्ठभूमि जांच प्रणाली के कार्यान्वयन, एक साथ डिग्री /या नियमित शैक्षणिक कार्यक्रमों, रोजगार की स्थिति और बायोमेट्रिक उपस्थिति के बारे में घोषणा और कानूनी शिक्षा संस्थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का अनुरोध किया।

बीसीआई ने कहा कि यह परिपत्र विधि छात्रों की पृष्ठभूमि की निगरानी के लिए जारी किया गया था, जबकि याचिकाकर्ता ने दावा किया कि ऐसी शर्त लागू करना विधि छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण है, क्योंकि अन्य क्षेत्रों के छात्रों के लिये इस तरह की शर्त की आवश्यकता नहीं होती है।

याचिका में दावा किया गया कि यह शर्त छात्रों के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है।

पीठ ने हालांकि कहा कि याचिकाकर्ता कोई पीड़ित छात्र नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश अराधे ने कहा, ‘‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया को किसी छात्र की आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच क्यों नहीं करनी चाहिए? इसमें क्या गैरकानूनी है? कौन से कानून का उल्लंघन है? हमारे हिसाब से परिपत्र में कुछ भी गैरकानूनी नहीं है।’’

पीठ ने कहा कि बीसीआई ने छात्रों से केवल यह घोषणा मांगी है कि क्या उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि है और इसमें यह नहीं कहा गया है कि यदि कोई आपराधिक पृष्ठभूमि है, तो उनका दाखिला रद्द कर दिया जायेगा।

अदालत ने कहा कि बीसीआई के कदम का स्वागत किया जाना चाहिए, न कि इसका विरोध किया जाना चाहिए। साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को चेतावनी दी कि अदालत का समय बर्बाद करने के लिए उन पर जुर्माना लगाया जायेगा।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, जिसके लिए अदालत ने अनुमति दे दी।

बीसीआई ने अपने परिपत्र में कहा कि कानूनी पेशे के नैतिक मानकों को बनाए रखने के लिए, विधि छात्रों को अपना आपराधिक रिकॉर्ड साफ रखना होगा।

परिपत्र के अनुसार, अब सभी विधि छात्रों को अपनी अंतिम अंकतालिका और डिग्री जारी होने से पहले किसी भी प्राथमिकी, आपराधिक मामले, दोषसिद्धि या बरी होने की घोषणा करना आवश्यक है। ऐसी जानकारी का खुलासा न करने पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें अंकतालिका और डिग्री का रोक देना भी शामिल है।

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