नयी दिल्ली, सात जुलाई दिल्ली में अप्रैल 2020 से अप्रैल 2021 के दौरान एनओ-2 यानी नाइट्रोजन-डाई-ऑक्साइड के प्रदूषण स्तर में 125 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह दावा ग्रीनपीस इंडिया ने अपने अध्ययन में किया है। संगठन ने अपने अध्ययन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी सहित देश की आठ, सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों की राजधानियों में एनओ-2 के स्तर का विश्लेषण किया।
अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, सभी आठ राजधानियों- मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, जयपुर और लखनऊ- में एनओ-2 प्रदूषण के स्तर में वृद्धि देखने को मिली लेकिन दिल्ली की आबोहवा में इस अवधि के दौरान ‘‘नाटकीय स्तर पर’’ इस प्रदूषक में वृद्धि देखने को मिली।
एनओ-2 खतरनाक प्रदूषक है जो वाहनों, जनरेटरों और औद्योगिक प्रक्रिया के दौरान ईंधन जलने से वातावरण में पहुंचता है। इसके संपर्क में आने से सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और उनमें श्वांस एवं रक्तसंचार प्रणाली में विकार आने की आशंका बढ़ती है । अंतत: अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है एवं मृत्यु भी हो जाती है।
‘‘ बिहाइंड द स्मोक स्क्रीन : सैटेलाइट डाटा रिवील एयर पॉल्यूशन इन्क्रीज इन इंडियाज एट मोस्ट पॉपुलस स्टेट कैपिटल्स’’ शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘उपग्रह के आंकड़ों से खुलासा हुआ कि अप्रैल 2020 के स्तर के मुकाबले एनओ-2 प्रदूषण के स्तर में 125 प्रतिशत की वृद्धि हई है। विश्लेषण में संकेत मिला है कि खराब मौसम के दौरान यह वृद्धि ऐसी ही परिस्थिति में 2020 के मुकाबले कहीं अधिक (146 प्रतिशत) रही।’’
हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी की तुलना में अन्य राज्य राजधानियों की स्थिति बेहतर रही लेकिन वहां पर भी एनओ-2 प्रदूषण के स्तर में चिंताजनक वृद्धि देखने को मिली। रिपोर्ट के मुताबिक, इस अवधि में मुंबई में एनओ-2 प्रदूषक में 52 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि बेंगलुरु में 90 प्रतिशत, हैदराबाद में 69 प्रतिशत, चेन्नई में 94 प्रतिशत, कोलकाता में 11 प्रतिशत, जयपुर में 47 प्रतिशत, लखनऊ में 32 प्रतिशत एनओ-2 का स्तर अप्रैल 2020 के मुकाबले अप्रैल 2021 में बढ़ा।
ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ जलवायु प्रचारक अविनाश चंचल ने कहा, ‘‘ इन शहरों की वायु गुणवत्ता चिंताजनक है। इन शहरों के निवासी जीवाष्म ईंधन जलने की भारी कीमत चुका रहे हैं और यह जारी नहीं रह सकता। लोगों ने महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान साफ आसमान देखा और साफ हवा में सांस ली। हालांकि, यह महामारी का गैर इरादतन असर था।’’
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