बतौर मुख्यमंत्री अपने प्रदर्शन पर प्रशांत किशोर के आकलन को कोई महत्व नहीं देते नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के मुखिया के तौर पर अपने प्रदर्शन के संदर्भ में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के आकलन को कोई महत्व नहीं देते.
पटना, 7 मई : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) राज्य के मुखिया के तौर पर अपने प्रदर्शन के संदर्भ में राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के आकलन को कोई महत्व नहीं देते. बिहार में कथित तौर पर पिछले 15 साल में कोई विकास का काम न होने संबंधी प्रशांत किशोर के आरोपों के बारे में पत्रकारों द्वारा शुक्रवार को पूछे जाने पर नीतीश ने कहा, ‘‘यह तो आप ही लोगों को पता है कि विकास हुआ या नहीं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘कौन क्या बोलता है, उसका कोई महत्व नहीं है. महत्व है सत्य का. आप सब जानते हैं कि क्या हुआ है, कितना काम किया गया है.’’ किशोर ने पिछले दिनों यहां ‘जन सुराज’ अभियान शुरू किया था, जिसका उद्देश्य राज्य में एक राजनीतिक विकल्प प्रदान करना है, जो बाद में चुनाव लड़ने वाली पार्टी के रूप में विकसित हो सकता है.
नीतीश ने पत्रकारों से कहा, ‘‘हम आपसे आग्रह करेंगे कि आप खुद ही देखिये. हमलोग किसी और की बात को महत्व नहीं देते हैं कि कोई क्या बोला है, उसका हम जवाब दें, लेकिन यह तो आप खुद जानते हैं. आप ही लोग बता दीजिए, जवाब दे दीजिए, हम तो यही आग्रह करेंगे.’’ कोरोना काल के बाद सीएए लागू करने से संबंधित केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान को लेकर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि सबसे बड़ी बात है कि अभी कोरोना के मामले बढ़ ही रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमे ज्यादा चिंता है कोरोना से लोगों की रक्षा करने की. नीति की बात होगी तो उसको अलग से देखेंगे. हमने बाकी चीजों को अभी देखा नहीं है.’’ यह भी पढ़ें : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने नाम पर खनन पट्टा आवंटन पर जनहित याचिका को बदनाम करने की साजिश बताया
कोयले की कमी के कारण बिजली संकट को लेकर पूछे गए एक प्रश्न पर नीतीश ने कहा कि संकट की स्थिति में राज्य सरकार हरसंभव कोशिश करेगी. उन्होंने कहा, ‘‘आप तो जानते हैं कि संकट तो एक जगह पर होता नहीं है, विभिन्न जगहों पर होता है और हमलोग जो भी कर सकते हैं वह करने का प्रयास करेंगे.’’ नीतीश के बयान पर तंज कसते हुए चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, ‘‘नीतीश जी सही हैं. सिर्फ सच्चाई ही महत्वपूर्ण है. और सच्चाई यह है कि लालू-नीतीश के 30 साल के शासन के बाद भी बिहार सबसे गरीब है और पिछड़ा राज्य है. इसका काया-पलट सिर्फ नयी सोच के साथ इसके लोगों के समेकित प्रयास से संभव है.’’