खेती पर खर्च बढ़ा सकती हैं निर्मला सीतारमण
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

बजट से सरकार की प्राथमिकताएं पता चलती हैं. इस वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था धीमी गति से आगे बढ़ रही है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार आयकर घटाकर या ईंधन सस्ता करके अर्थव्यवस्था को गति दे सकती है.आजाद भारत के पहले बजट में देशभर से 171 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने का अनुमान लगाया गया था. वहीं, करीब 197 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था. देश के पहले वित्त मंत्री आरके षणमुखम चेट्टी के बजट भाषण में यह जानकारी दी गई है. उन्होंने 26 नवंबर, 1947 को देश का पहला बजट पेश किया था. तब से लेकर अब तक भारत का बजट कई सौ गुना बड़ा हो चुका है.पिछले साल लोकसभा चुनावों के बाद जुलाई में पूर्ण बजट पेश किया गया था. प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो के मुताबिक, बजट में देशभर से 32 लाख करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होने और 48 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया था. अब एक फरवरी को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण लगातार आठवीं बार संसद में बजट पेश करेंगी.

इस साल बजट से क्या हैं उम्मीदें

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के हवाले से बताया है कि वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी के 6.4 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. यह पिछले चार सालों में सबसे कम है. इससे पहले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की जीडीपी 8.2 फीसदी की दर से बढ़ी थी. इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में मांग घटी है. शेयर बाजार अपने उच्च स्तर से काफी नीचे आ गया है. डॉलर के मुकाबले रुपया भी काफी कमजोर हुआ है. इसलिए अब बजट पर लोगों की निगाह टिकी हुई है.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आगामी बजट भारत की अर्थव्यवस्था को नीतिगत बढ़ावा दे सकता है. एएनजेड रिसर्च फर्म के अर्थशास्त्री धीरज निम ने रॉयटर्स से कहा कि बजट में ईंधन की कीमतों या घरेलू गैस पर टैक्स में कटौती की जा सकती है. एक बड़ी उम्मीद आय कर यानी इनकम टैक्स को लेकर भी है. दिसंबर में रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया था कि भारत व्यक्तिगत आयकर में कटौती करने पर विचार कर रहा है, ताकि लोग ज्यादा खर्च कर सकें.

खेती पर खर्च बढ़ा सकती है सरकार

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार कृषि क्षेत्र पर अपने खर्च को 15 फीसदी बढ़ाने की योजना बना रही है. यह पिछले छह सालों में कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी. इसके अलावा खाद्य पदार्थों, खाद और रसोई गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी आठ फीसदी बढ़ाई जा सकती है.

राजनीतिक उठापटक की वजह से पड़ोसी देश बांग्लादेश का कपड़ा उद्योग प्रभावित हुआ है. ऐसे में भारत अपने कपड़ा उद्योग को बढ़त दिलाने के लिए भी कुछ कदम उठा सकता है. जैसे- वित्तीय मदद देना, कच्चे माल पर टैरिफ कम करना या स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहन राशि देना.

आम लोगों के लिए क्यों जरूरी होता है बजट

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत यह जरूरी होता है कि प्रत्येक वित्त वर्ष की अनुमानित राजस्व प्राप्ति और खर्च का हिसाब-किताब संसद के सामने पेश किया जाए. यह ‘वार्षिक वित्तीय विवरण' संघीय बजट का मुख्य हिस्सा होता है. हालांकि बजट में आम लोगों की दिलचस्पी इसलिए होती है क्योंकि अक्सर बजट में जनकल्याण से जुड़ी कई बड़ी घोषणाएं की जाती हैं. नई योजनाएं शुरू करने का ऐलान किया जाता है. कई बार टैक्स की दरों में बदलाव की घोषणा भी की जाती है.

बजट के जरिए सरकार की प्राथमिकता भी पता चलती है कि सरकार किस क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना चाहती है. जैसे, पिछले बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि सरकार का फोकस चार वर्गों- गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता यानी किसानों पर है. इन प्राथमिकताओं के हिसाब से ही सरकार अलग-अलग विभागों को बजट आवंटित करती है.

एनसीईआरटी की कक्षा 12वीं की अर्थशास्त्र की किताब में बजट के कुछ उद्देश्य बताए गए हैं. इसमें बताया गया है कि बजट के जरिए देश की आय का बंटवारा किया जाता है, ताकि समानता आ सके. बजट के जरिए सरकार रोजगार और आय से जुड़े उतार-चढ़ावों को ठीक करने के प्रयास भी कर सकती है. जैसे, पिछले साल के बजट में सरकार ने इंटर्नशिप स्कीम की घोषणा की थी, जिसके तहत युवा बड़ी कंपनियों में इंटर्नशिप करते हैं और सरकार उन्हें स्टाइपेंड देती है. इसका मकसद युवाओं को कुशल बनाना और बेरोजगारी को कम करना था.

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