मुंबई, छह जनवरी एक स्थानीय विशेष अदालत ने दो व्यक्तियों की अपराध स्वीकार करने की अर्जी मंजूर कर ली जो 2015 में आतंकी संगठन आईएसआईएस में शामिल हुए थे। अदालत ने दोनों आरोपियों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत दोषी पाया।
विशेष एनआईए न्यायाधीश ए. टी. वानखेड़े ने बुधवार को कहा कि वह दोषी पाए गए व्यक्तियों की सजा पर सात जनवरी को सुनवाई करेंगे।
मोहसिन सय्यद (32) और रिजवान अहमद (25) ने पिछले महीने अपराध स्वीकार करने की अर्जी दायर की थी। अदालत ने बुधवार को आरोपियों को उन पर लगे आरोप समझाये और दोषी पाए जाने पर सजा के बारे में बताया। यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत दोषी पाए जाने पर दोनों को कम से कम तीन साल कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
आरोपियों ने अदालत में कहा कि उन्हें इसकी जानकारी थी और उन्होंने स्वेच्छा से अपराध स्वीकार किया है। इसके बाद अदालत ने उनकी अर्जी मंजूर कर ली और यूएपीए तथा भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी ठहराया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मुंबई के मलवानी के चार व्यक्ति घर छोड़कर आईएसआईएस में शामिल होने गए थे। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) का दावा है कि सय्यद और अहमद ने मलवानी से मुस्लिम युवकों को ‘फिदायीन’ लड़ाके बनने और आतंकी संगठन में शमिल होने के लिए प्रेरित किया।
दोनों आरोपियों ने गत माह दाखिल अर्जी में दावा किया था कि वे दुष्प्रचार वाले वीडियो से प्रभावित हुए थे लेकिन अब उन्हें अपनी गलती का एहसास हो गया है। दोनों आरोपी 2016 से जेल में बंद हैं।
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