जरुरी जानकारी | शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू वित्त में अबतक दोगुना से अधिक 1.85 लाख करोड़ रुपये पहुंचा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. अर्थव्यवस्था में तेजी लौटने के संकेत दिख रहे हैं। आयकर विभाग के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अबतक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह दोगुना से अधिक होकर 1.85 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मुख्य रूप से अग्रिम कर और टीडीएस भुगतान अधिक रहने से कर संग्रह बढ़ा है।

नयी दिल्ली, 16 जून अर्थव्यवस्था में तेजी लौटने के संकेत दिख रहे हैं। आयकर विभाग के अनुसार चालू वित्त वर्ष में अबतक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह दोगुना से अधिक होकर 1.85 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया। मुख्य रूप से अग्रिम कर और टीडीएस भुगतान अधिक रहने से कर संग्रह बढ़ा है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने बुधवार को एक बयान में कहा कि वापस की गयी कर राशि को हटाकर शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह एक अप्रैल से 15 जून के बीच 1,85,871 करोड़ रुपये रहा जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 92,762 करोड़ रुपये था।’’

चालू वित्त वर्ष में अबतक 30,731 करोड़ रुपये कर वापस किये गये हैं।

मौजूदा वित्त वर्ष में अबतक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 2.16 लाख करोड़ रुपये रहा जो पिछले साल इसी अवधि में 1.37 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 57 प्रतिशत अधिक है।

बयान के अनुसार अग्रिम कर संग्रह 28,780 करोड़ रुपये जबकि स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) 1,56,824 करोड़ रुपये रही। खुद से आकलन किया गया कर 15,343 करोड़ रुपये और नियमित आकलन कर 14,079 करोड़ रुपये रहा।

सकल प्रत्यक्ष कर में कंपनी आयकर (सीआईटी) और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) संग्रह क्रमश: 96,923 करोड़ रुपये और 1.19 लाख करोड़ रुपये रहे। रिफंड हटाने के बाद शुद्ध रूप से सीआईटी और पीआईटी संग्रह एक अपैल से 15 जून के दौरान क्रमश: 74,356 करोड़ रुपये और 1.11 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहे।

सीबीडीटी ने कहा, ‘‘नये वित्त वर्ष के शुरूआती महीनों के बेहद चुनौतीपूर्ण होने के बावजूद, वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही के लिए अग्रिम कर संग्रह करीब 146 प्रतिशत बढ़कर 28,780 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में 11,714 करोड़ रुपये था।’’

हालांकि विशेषज्ञों ने कहा है कि कर संग्रह में वृद्धि का ज्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए क्योंकि पिछले साल देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ लगाया गया था जबकि चालू वित्त वर्ष में राज्यों के स्तर पर पाबंदियां लगायी गयी थी।

इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले साल कड़ाई से देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ और इस साल राज्यों के स्तर पर जरूरत के अनुसार पाबंदियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर संग्रह में उछाल निर्यात की बेहतर स्थिति और विभिन्न औद्योगिक तथा निर्माण गतिविधियों में निरंतरता को बताता है।

उन्होंने कहा, ‘‘यह हमारे अनुमान का समर्थन करता है कि जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में दहाई अंक में रहेगी।’’

एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा, ‘‘पिछले वित्त वर्ष में कर संग्रह की तुलना, एक सही तस्वीर नहीं देगी क्योंकि उक्त अवधि देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ लगाया गया था, जहां चीजें अत्यधिक अनिश्चित थी, अर्थव्यवस्था में दहाई अंक में गिरावट आयी थी और विभिन्न नियमों के अनुपालन के लिये समयसीमा बढ़ा दी गयी थी।

डेलॉयट इंडिया की भागीदार नीरू आहूजा ने कहा कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि का प्राथमिक कारण सरकार की विवाद से विश्वास योजना की सफलता को माना जा सकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘करदाताओं ने विवाद से विश्वास (वीएसवी) योजना का लाभ उठाया है और अपने कर बकाया जमा करने के साथ-साथ आयकर विभाग के साथ पुराने विवादों तथा मुकदमों का निपटारा किया है। यह मुख्य कारण जान पड़ता है जिससे हम प्रत्यक्ष कर में वृद्धि देख रहे हैं।’’

पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह (कंपनी कर और व्यक्तिगत आयकर) संग्रह 9.45 लाख करोड़ रुपये था। यह बजट में 9.05 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से अधिक था।

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