चीन से निकल रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिये कदम उठाने की जरूरत: फियो

सुझावों में समयबद्ध तरीके से काम करने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों पर जवाबदेही तय करने, अगर समय पर लाइसेंस और परमिट की मंजूरी नहीं मिलती है तो उसे मंजूर मान लिया जाना, जमीन अधिग्रहण नियम में बदलाव एक महीने में बिजली कनेक्शन और दो महीनों में बैंक कर्ज मंजूरी शामिल हैं।

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) ने रविवार को सरकार को कोरोना वायरस महामारी के कारण चीन से अपना विनिर्माण आधार हटाने पर विचार कर रही कंपनियों को आकर्षित करने के लिये विभिन्न कदम उठाने का सुझाव दिया। संगठन ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है।

सुझावों में समयबद्ध तरीके से काम करने को लेकर राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों पर जवाबदेही तय करने, अगर समय पर लाइसेंस और परमिट की मंजूरी नहीं मिलती है तो उसे मंजूर मान लिया जाना, जमीन अधिग्रहण नियम में बदलाव एक महीने में बिजली कनेक्शन और दो महीनों में बैंक कर्ज मंजूरी शामिल हैं।

फियो के अध्यक्ष एस सर्राफ ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है, ‘‘सभी राज्य औद्योगिक विकास निगमों को भूमि उपलब्ध होने पर एक महीने में जमीन का आबंटन आवेदनकर्ता को करना चाहिए। फिलहाल जमीन आबंटन में छह महीने का समय लगता है। भूमि उपयोग मंजूरी में गैर-कृषि उपयोग के लिये अनुमति एक महीने में निश्चित रूप से दी जानी चाहिए।’’

उन्होंने यह भी कहा कि तालुका से 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाली वन भूमि उद्योग को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यह जमीन इस शर्त पर दी जानी चाहिए कि प्रवर्तक अन्य वन भूमि पर निर्धारित संख्या में पेड़ लगाएंगे और तीन साल तक उसकी देखभाल करेंगे। इससे ग्रमीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

सर्राफ ने कहा कि जिला कलेक्टरों को जिलों में निवेश बढ़ाने के लिये जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। इसके अलावा जमीनी स्तर पर हर उस मसले का समाधान होना चाहिए जो देश में विदेशी निवेश को मुश्किल बनाते हैं।

फियो ने कहा कि फिलहाल केवल बड़ी कंपनियां भारत में आ रही हैं और अगर जमीनी स्तर पर मसलों का हल करते हैं, भारत मझोले और छोटे उद्योग को भी आकर्षित कर पाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘चीन ने वास्तव में यही किया जहां कारोबार सुगमता सही मायने में है।’’

सर्राफ ने कहा कि अमेरिका तथा यूरोप समेत दूसरे देशों की कंपनियां चीन से बाहर निकलने की योजना बना रही हैं।

पत्र में कहा गया है, ‘‘...यह हमारे लिये बड़ा अवसर है। अगर हमने चीजों को व्यवस्थित नहीं की, हम अवसर गंवा देंगे और ये कंपनियां दूसरे एशियाई देशों में जा सकती हैं....।’’

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