नयी दिल्ली, 19 जनवरी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने अपने कर्मियों के लिए वनाग्नि को नियंत्रित करने और निपटने का प्रशिक्षण देने का फैसला किया है ताकि दावानल से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।
जंगलों में आग मानव निर्मित और प्राकृतिक दोनों कारणों से लगती हैं।
एनडीआरएफ के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल ने बल की स्थापना के 18 साल पूरे होने के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि इस आपदा से निपटने के लिए बल " सक्रिय भूमिका निभाएगा" और इसकी तीन टीम छह फरवरी से अपना प्रशिक्षण शुरू करेंगी।
एक संसदीय समिति ने पिछले साल इस बात पर चिंता व्यक्त की थी कि वनाग्नि से निपटने का विषय एनडीआरएफ जैसे विशेष बल का आधिकारिक तौर पर हिस्सा नहीं है।
समिति ने कहा था, “ वनाग्नि विश्व स्तर पर एक बढ़ता हुआ खतरा है। जंगल में आग लगने की घटनाएं न केवल वन संसाधनों को नुकसान पहुंचाती हैं बल्कि जैव विविधता को भी हानि पहुंचाती हैं, जलवायु परिवर्तन का कारण बनती हैं, जनजातीय आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं और वनों की वनस्पतियों और जीवों के लिए गंभीर संकट पैदा करती हैं।”
उसने कहा था कि इन घटनाओं के बढ़ने के मद्देनज़र दावानल (जंगल की आग) को भी तेज़ी से उन आपदाओं की सूची में शामिल करना चाहिए जिनसे एनडीआरएफ निपटती है।
करवाल ने यह भी कहा कि जंगलों में आग लगने की घटनाओं से निपटने के वास्ते प्रशिक्षण के संबंध में बल पर्यावरण व वन मंत्रालय के संपर्क में है।
डीजी ने कहा कि भविष्य में एनडीआरएफ के लिए आठ और क्षेत्रीय प्रतिक्रिया केंद्र (आरआरसी) देश भर में स्थापित किए जाएंगे।
इस बल की स्थापना 2006 में हुई थी। इसमें कुल 16 बटालियन और 28 आरआरसी हैं जिनमें करीब 18,000 कर्मी हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित हैं।
डीजी ने कहा, ‘‘ हमें उत्तराखंड में हल्द्वानी के पास एक बटालियन बेस के लिए लगभग 60-65 एकड़ जमीन मिली है, जबकि चेन्नई में एक आरआरसी के वास्ते भूमि के लिए मंजूरी मिल गई है।”
उन्होंने कहा, “ मुझे अनौपचारिक रूप से बताया गया है कि असम सरकार ने भी हमारी पहली बटालियन की खातिर भूमि को स्वीकृति दे दी है जो करीब 16 साल से राज्य में मौजूद है।”
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए बल की प्रशंसा की और कहा कि सभी प्रकार की आपदाओं पर उसकी प्रतिक्रिया त्वरित होती है।
उन्होंने कहा, “ आपने साहस दिखाया है और सुविधाओं की परवाह किए बिना और "अपने सम्मान की परवाह किए बिना" काम किया है और आपने अपनी ड्यूटी से बढ़कर काम किया है। हमने विशेष रूप से चक्रवात अम्फान (2020) के दौरान देखा... एनडीआरएफ ने बंगाल को बचाने के लिए सब कुछ किया।”
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