एनसीएलएटी के अध्यक्ष के साथ दिहाड़ी मजदूर से भी बुरा बर्ताव किया गया: पी चिदंबरम
केंद्र द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक इकबाल सिंह चीमा को 20 सितंबर तक पद पर बने रहने की अनुमति दिये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उनके साथ दिहाड़ी मजदूर से भी खराब व्यवहार किया गया.
नयी दिल्ली, 17 सितंबर : केंद्र द्वारा राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक इकबाल सिंह चीमा को 20 सितंबर तक पद पर बने रहने की अनुमति दिये जाने के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने शुक्रवार को सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उनके साथ दिहाड़ी मजदूर से भी खराब व्यवहार किया गया. चिदंबरम ने ट्वीट किया, "उस खराब तरीके पर विचार करें जो केंद्र सरकार ने एनसीएलएटी के कार्यवाहक अध्यक्ष श्री न्यायमूर्ति चीमा के साथ व्यवहार किया.
कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिन्हें 10 सितंबर को समय से पहले हटा दिया गया, आज फिर से उन्हें बहाल किया गया, और अब वह 20 सितंबर तक काम करेंगे!" उन्होंने कहा, "एनसीएलएटी के अध्यक्ष के साथ दिहाड़ी मजदूर से भी बदतर व्यवहार किया गया है." पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा कि इस सरकार में किसी भी न्यायाधिकरण में कोई न्यायिक पद भला क्यों स्वीकार करें. यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर के किश्तवार से पूर्व आतंकवादी गिरफ्तार
गौरतलब है कि चीमा की समय से पहले सेवानिवृत्ति पर विवाद बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में समाप्त हुआ. अदालत की चेतावनी के बाद केंद्र ने उन्हें 20 सितंबर तक पद पर बने रहने की अनुमति दी. न्यायमूर्ति चीमा को 20 सितंबर को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन न्यायमूर्ति एम वेणुगोपाल को 11 सितंबर से न्यायाधिकरण के कार्यवाहक प्रमुख के रूप में नियुक्त कर दिया गया, जिससे एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई. तब न्यायमूर्ति चीमा ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.