नयी दिल्ली, दो जनवरी सरसों की उपलब्धता घटने के बीच बीते सप्ताह देश के प्रमुख तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल-तिलहन के अलावा बेपड़ता कारोबार से कच्चे पामतेल के भाव सुधार का रुख रहा। लेकिन आयात शुल्क मूल्य में कमी सहित सरकार के विभिन्न उपायों की वजह से बाकी तेल-तिलहनों के भाव में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि सरकार द्वारा तेल-तिलहनों के भाव की तेजी पर अंकुश लगाने के लिए विभिन्न उपाय किये गये जिससे अधिकांश तेल-तिलहनों के भाव थोड़े नरम पड़े हैं, लेकिन सरसों की उपलब्धता काफी कम रह गई है जिससे सरसों में सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की उपलब्धता निरंतर घट रही है। अगर मौसम साफ रहा तो उत्तर प्रदेश में अगले 15-20 दिनों में लहिया की फसल आयेगी जिसे बड़े ब्रांड वाले नहीं खरीदते, क्योंकि इसकी महक अच्छी नहीं होती और इसमें 15 से 20 प्रतिशत नमी होती है।
उन्होंने कहा कि बेपड़ता कारोबार की वजह से कच्चे पामतेल की कीमतों में भी सुधार दिखा। सीपीओ का प्रसंस्करण कर उससे पामोलीन बनाने की लागत से आयातित पामोलीन तेल पांच रुपये किलो सस्ता बैठता है। भारत द्वारा आयात शुल्क मूल्य में कमी किये जाने की वजह से पामोलीन में गिरावट देखने को मिली।
सूत्रों ने कहा कि देश में सोयाबीन की मंडियों में आवक दो लाख बोरी से कम रह गई है। प्लांट वालों को माल की कमी हो रही है और किसान नीचे भाव में बिक्री को तैयार नहीं हैं। लेकिन प्लांट वालों को बेपड़ता कारोबार की वजह से सोयाबीन तेल निकालने पर 5-7 रुपये प्रति किलो का नुकसान हो रहा है जिसकी वजह से सोयाबीन तिलहन के भाव में समीक्षाधीन सप्ताहांत के दौरान गिरावट आई।
विदेशी बाजार के मंदा होने के कारण सोयाबीन तेल के भाव में गिरावट देखने को मिली। इंदौर में सोयाबीन की उपलब्धता कम होने से संयंत्र अपनी 30-40 प्रतिशत क्षमता का ही उपयोग कर पा रहे हैं। इस कारण पिछले सप्ताहांत के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन तेल इंदौर के भाव में सुधार है।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली की मांग कमजोर होने से मूंगफली तेल-तिलहनों के भाव में नरमी रही और इसकी वजह से बिनौला तेल के भाव भी सप्ताहांत में गिरावट के साथ बंद हुए।
उन्होंने कहा कि नेफेड और हाफेड जैसी सहकारी संस्थाओं को सरकार की तरफ से इस बार 20 लाख टन की जगह लगभग 30 लाख टन की खरीद करते हुए भविष्य की जरूरतों के लिए सरसों का स्टॉक बनाकर रखना चाहिये क्योंकि इस बार पैदावार बंपर हो सकती है।
सूत्रों ने बताया कि बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 25 रुपये सुधरकर 8,020-8,050 रुपये प्रति क्विंटल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 7,975-8,025 रुपये प्रति क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 100 रुपये सुधरकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 16,100 रुपये क्विंटल हो गया। वहीं सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी तेल की कीमत क्रमश: 25 रुपये और 30 रुपये सुधरकर क्रमश: 2,415-2,540 रुपये और 2,595-2,710 रुपये प्रति टिन हो गईं।
सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दाने और सोयाबीन लूज के भाव क्रमश: 75-75 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 6,500-6,550 रुपये और 6,300-6,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
आयात शुल्क कम किये जाने के बाद सोयाबीन डीगम में गिरावट के कारण समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 20 रुपये और 50 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 12,430 रुपये, और 11,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए। सामान्य घटबढ़ को दर्शाता सोयाबीन दिल्ली का भाव 20 रुपये सुधरकर 12,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि मूंगफली तेल के दाम पहले काफी टूटे हैं और अब किसान नीचे भाव में फसल बेचने को राजी नहीं है। गिरावट के आम रुख के विपरीत समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली दाना, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट के भाव में सुधार आया। मूंगफली दाना, मूंगफली तेल गुजरात और मूंगफली साल्वेंट का भाव क्रमश: 50 रुपये, 160 रुपये और 20 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 5,725-5,810 रुपये, 12,700 रुपये और 1,860-1,985 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) से पामोलीन के सस्ता बैठने के कारण सीपीओ की मांग बेहद कमजोर है जिससे सीपीओ का भाव 30 रुपये की गिरावट के साथ 10,720 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन की मांग होने के बीच पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल का भाव 12,200 रुपये और 11,150 रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित रहा।
बिनौला तेल का भाव 50 रुपये का सुधार दर्शाता 11,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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