President Draupadi Murmu ने दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाने को प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर दिया जोर

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को शिक्षा में संबंधी बाधाओं को दूर करने और दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया.

Draupadi Murmu (Photo Credits: PTI)

नयी दिल्ली, 3 दिसंबर : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) ने शनिवार को शिक्षा में संबंधी बाधाओं को दूर करने और दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के अधिकतम उपयोग पर जोर दिया. मुर्मू ने अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर 2021 और 2022 के लिए दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए. राष्ट्रपति ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार पूरे विश्व में एक अरब से भी अधिक दिव्यांगजन हैं. उन्होंने कहा कि इसका अर्थ यह हुआ कि विश्व में हर आठवां व्यक्ति किसी न किसी तरह से दिव्यांग है.

उन्होंने कहा कि भारत की कुल आबादी का दो प्रतिशत से अधिक दिव्यांग है, इसलिये, यह हम सब की जिम्मेदारी बनती है कि हम यह सुनिश्चित करें कि दिव्यांगजन सम्मानपूर्वक गरिमापूर्ण जीवन जी सकें. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम सुनिश्चित करें कि दिव्यांगजनों को अच्छी शिक्षा मिले, वे अपने घरों व समाज में सुरक्षित रहें, उन्हें अपना करियर चुनने की आजादी हो और उन्हें रोजगार के समान अवसर मिलें.’’ राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परंपरा में, दिव्यांगता को कभी भी ज्ञान तथा उत्कृष्टता प्राप्त करने के मार्ग में अवरोध नहीं समझा गया है. यह भी पढ़ें :Maharashtra: राज्यपाल की नियुक्ति के लिए मानदंड तय हो- उद्धव ठाकरे

उन्होंने कहा, ‘‘प्रायः देखा गया है कि दिव्यांगजनों में नैसर्गिक रूप से उत्कृष्ट गुण होते हैं. ऐसे अनेक उदाहरण है, जहां हमारे दिव्यांग भाइयों और बहनों ने अपने अदम्य साहस, प्रतिभा और संकल्प के बल पर अनेक क्षेत्रों में प्रभावशाली उपलब्धियां अर्जित की हैं. यदि उन्हें सही माहौल में पर्याप्त अवसर दिये जायें, तो वे हर क्षेत्र में निखरेंगे.’’ राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि शिक्षा ही हर व्यक्ति के सशक्तिकरण की कुंजी है, इनमें दिव्यांगजन भी शामिल हैं. उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षा में ई अवरोधों को हटाने के लिए प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिये तथा शिक्षा को दिव्यांग बच्चों के लिये अधिक सुगम बनाना चाहिये.’’

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