गुवाहाटी, 25 सितंबर असम के विभिन्न हिस्सों में पिछले 12 वर्षों के दौरान कुल 5,202 उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन अब तक उनमें से केवल एक को दोषी ठहराया गया है। आधिकारिक आंकड़ों से यह जानकारी सामने आई है।
गिरफ्तार किए गए उग्रवादियों में से अभी तक आधे के खिलाफ ही आरोपपत्र दायर किए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह जांचकर्ता और कानूनी प्रणाली की खामी है, जिसके कारण न्याय व्यवस्था के कई चरणों में अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ता है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, असम पुलिस ने उल्फा और अन्य उग्रवादी समूहों के 5,202 सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें बोडो, गारो, रभा, कारबी, आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल हैं।
आंकड़ों के अनुसार, अब तक कुल 2,606 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किए गए हैं और ज्यादातर मामले विचाराधीन हैं तथा एक आरोपी को दोषी ठहराया गया है।
लखीमपुर जिले में 2012 में एकमात्र उग्रवादी पर दोष सिद्ध हुआ था और उसके बाद से किसी पर दोष सिद्ध नहीं हुआ है।
आंकड़ों के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए उग्रवादियों में सबसे ज्यादा 2,392 बोडो समुदाय के हैं। इसके अलावा, उल्फा के 1,468 और कारबी समूह के 582 उग्रवादी गिरफ्तार किए गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, पुलिस ने आदिवासी समूहों के 346, गारो के 178, मुस्लिम समुदाय के 155 और रभा के 81 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
गुवाहाटी उच्च न्यायालय के वकील शांतनु बोरठाकुर ने ‘पीटीआई-’ से कहा कि आरोपियों पर दोष सिद्धि में देरी कई चरणों में होने वाली प्रक्रिया है और कई बार जानबूझकर विलंब किया जाता है।
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