नयी दिल्ली, 30 सितंबर इस वर्ष मानसून का मौसम समाप्त हो गया है और चार महीने के इस मौसम में भारत में ‘सामान्य’ बारिश हुई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी।
विभाग ने बताया कि लंबे समय तक बारिश का औसत 868.6 मिलीमीटर (मिमी) रहा है लेकिन इस बार यह आंकड़ा 820 मिमी का रहा।
विभाग ने बताया कि सकारात्मक कारकों के बावजूद, अल नीनो देश में मानसून की बारिश को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर सका।
लंबी अवधि के औसत (एलपीए) के 94 प्रतिशत से 106 प्रतिशत के बीच बारिश को सामान्य माना जाता है।
भारतीय मानसून विभिन्न प्राकृतिक कारकों के कारण समय के साथ होने वाले अंतर्निहित उतार-चढ़ाव और बदलावों को संदर्भित करता है।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि अल नीनो के प्रभाव का मुकाबला करने वाले सकारात्मक कारकों के साथ, 2023 का मानसून 94.4 प्रतिशत बारिश दर्ज करने के साथ समाप्त हुआ, जिसे ‘‘सामान्य’’ माना जाता है।
उन्होंने शनिवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उप-विभागीय क्षेत्र के 73 प्रतिशत हिस्से में सामान्य वर्षा दर्ज की गई, जबकि 18 प्रतिशत में कम बारिश देखी गई।
मौसम विभाग ने कहा कि पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य 1,367.3 मिमी की तुलना में 1,115 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो 18 प्रतिशत कम है।
उसने कहा कि उत्तर पश्चिम भारत में लंबी अवधि के औसत 587.6 मिमी के मुकाबले 593 मिमी बारिश दर्ज की गई। मध्य भारत में सामान्य बारिश 978 मिमी के मुकाबले 981.7 मिमी दर्ज की गई।
मौसम विभाग ने कहा कि दक्षिण प्रायद्वीप में आठ प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
उसने कहा कि विभाग ने भारत के लिए सामान्य मानसून का अनुमान जताया था, भले ही यह सामान्य से कम हो। इसने हालांकि आगाह किया था कि अल नीनो - दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी का गर्म होना - दक्षिण पश्चिम मानसून के उत्तरार्ध को प्रभावित कर सकता है।
अल नीनो की स्थिति भारत में कमजोर मानसूनी हवाओं और शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी है।
अगस्त 2023, 1901 के बाद से सबसे शुष्क महीना और भारत में अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया था, जिसका कारण अल नीनो की स्थिति को मजबूत करना है। कई निम्न दबाव प्रणालियों और ‘मैडेन-जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) के सकारात्मक चरण के कारण सितंबर में अधिक बारिश हुई थी।
एमजेओ एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है।
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