सिडनी, 23 जनवरी (द कन्वरसेशन) रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) महिलाओं के कामकाजी जीवन को किस तरह प्रभावित करती है, यह दशकों से अनुचित पूर्वाग्रह से घिरा रहा है। लेकिन बदलाव शुरू हो गया है।
ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार इमोजेन क्रम्प ने हाल ही में अपनी भाव भंगिमा और उस टिप्पणी के लिए तालियां बटोरीं जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘मुझे नहीं लगता कि हार्मोन राष्ट्रीय टेलीविजन के किसी काम के हैं।’’
संघीय संसद ने इस प्राकृतिक संक्रमण के आर्थिक, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक प्रभावों का पता लगाने के लिए एक जांच शुरू की है।
जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि जागरूकता और कार्यस्थल से जुड़े समर्थन का इस्तेमाल और इसकी उपलब्धता कम क्यों है। नियोक्ताओं के लिए समर्थन की पेशकश करना ही पर्याप्त नहीं है, उनकी सुलभता के प्रति कर्मचारियों को पर्याप्त रूप से आश्वस्त होने की आवश्यकता है।
मासिक धर्म (माहवारी) और रजोनिवृत्ति के लिए संगठनात्मक समर्थन से जुड़ी हमारी वैश्विक समीक्षा में पाया गया कि कार्यस्थल रजोनिवृत्ति संबंधी वर्जनाओं को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सही हस्तक्षेप के जरिये कार्यस्थल कर्मचारियों को उनके लक्षणों को प्रबंधित करने और कार्यबल का हिस्सा बने रहने में सक्षम बना सकते हैं।
संगठन एक सुरक्षित और खुली कार्यस्थल संस्कृति को प्राथमिकता दे सकते हैं जहां रजोनिवृत्ति के लक्षणों के बारे में बात की जा सके। जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा और वरिष्ठ नेताओं के सहयोग ने सकारात्मक कार्यस्थल संस्कृति के निर्माण में मदद मिल सकती है।
चार में से तीन महिला कठिनाई मसहसू करतीं हैं।
रजोनिवृत्ति तब होती है जब मासिक धर्म वाली महिला को कम से कम 12 महीने के लिए मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है। अधिकांश महिलाएं जिनका मासिक धर्म रजोनिवृत्ति में परिवर्तित हो जाता है उनकी उम्र 45 से 60 वर्ष के बीच होती है।
इसके लक्षणों में आमतौर पर रात में पसीना आना, संज्ञानात्मक व्यवधान जिन्हें ‘ब्रेन फॉग’ कहा जाता है, चिंता, अवसाद, निद्रा में व्यवधान शामिल है।
कुछ लोगों के लिए रजोनिवृत्ति के लक्षण संक्षिप्त हो सकते हैं और थोड़ी परेशानी पैदा कर सकते हैं। लेकिन लगभग 25 फीसदी महिलाएं ऐसे लक्षणों का अनुभव करती हैं जो उनके दैनिक कामकाजी जीवन को गहराई से प्रभावित करते हैं।
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