मुंबई, 11 जनवरी आर्थिक, सामाजिक और शासन के संचालन के मामले में महाराष्ट्र पहले पायदान पर है, जबकि गुजरात और तमिलनाडु क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं।
साख निर्धारित करने वाली और शोध कंपनी केयर एज ने राज्यों की समग्र रैंकिंग में यह निष्कर्ष निकाला है। रैकिंग तैयार करते समय बुनियादी ढांचे की स्थिति, वित्तीय समावेशन, राजकोषीय प्रबंधन और पर्यावरण पर भी गौर किया गया है।
कुल मिलाकर राजकाज के स्तर पर उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है और इस मामले में आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना से पीछे है।
केयर एज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने इसका श्रेय योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार को दिया जिसने राज्य में कारोबार करने को सुगम बनाया है।
उन्होंने कहा कि राजकाज के स्तर पर रैंकिंग पर पहुंचने के लिये सबसे ज्यादा महत्व कारोबार सुगमता, शासन के स्तर पर डिजिटलीकरण को लेकर रिकॉर्ड, अपराधों का अदालत के स्तर पर निपटान और पुलिस बल पर दिया गया है।
सिन्हा ने कहा कि समग्र रैंकिंग लंबी अवधि में हुए लाभ को बताती है।
उन्होंने कहा कि अब भौतिक बुनियादी ढांचे पर ध्यान दिया जा रहा है। लेकिन अगर जनसंख्या को लेकर जो लाभ है, उसका फायदा उठाने के लिये राज्यों को स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी सामाजिक ढांचागत सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए।
अर्थशास्त्री ने कहा कि पश्चिम और दक्षिण के राज्य इस मामले में बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने जो नीतियां अपनायी हैं, उसका लाभ दिख रहा है।
उन्होंने कहा कि समग्र रैकिंग में तमिलनाडु तीसरे स्थान पर है। इसकी वजह सामाजिक क्षेत्रों में राज्यों का बेहतर प्रदर्शन है। हालांकि, उसका पड़ोसी राज्य केरल इस मामले में अव्वल है।
राज्यों की समग्र सूची में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है। इसका कारण वित्तीय समावेशप के क्षेत्र में उसका अच्छा प्रदर्शन है। वहीं गुजरात का आर्थिक और रोजकोषीय मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन है।
हालांकि, गुजरात सामाजिक मानदंडों में पीछे है। वह इस मामले में ओड़िशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, झारखंड और बिहार जैसे राज्यों से आगे है।
वित्तीय मानदंडों के आधार पर ओड़िशा पहले स्थान पर है जबकि महाराष्ट्र और गुजरात क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है। वहीं पर्यावरण के हिसाब से आंध्र प्रदेश सूची में अव्वल है। जबकि कर्नाटक और तेलंगाना क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर है।
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