मुंबई, 14 फरवरी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी और आरएसएस कार्यकर्ता डॉ अजीत गोपछड़े को महाराष्ट्र से आगामी राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकित करके एक संतुलन बनाने की कोशिश की है।
भाजपा ने आगामी राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर बुधवार को कुल सात उम्मीदवारों की सूची की घोषणा की जिनमें गुजरात के लिए चार जबकि महाराष्ट्र के लिए तीन उम्मीदवारों के नाम हैं।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि भाजपा ने चव्हाण को नामांकित करके तथा पार्टी के वफादारों को संसद के उच्च सदन में प्रतिनिधित्व करने का मौका देकर एक संतुलनकारी कदम उठाने की कोशिश की है।
कांग्रेस में लगभग चार दशक बिताने वाले चव्हाण एक दिन पहले ही मंगलवार को भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने सोमवार को कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। चव्हाण (65) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं और वह राज्य के नांदेड़ जिले से आते हैं।
आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले में चव्हाण की कथित संलिप्तता को लेकर भाजपा ने कई बार उनकी आलोचना भी की है। इस घोटाले में शामिल होने के कारण उन्हें 2010 में मुख्यमंत्री पद से भी हटना पड़ा था, जिसमें कथित तौर पर उचित अनुमोदन के बिना विवादित जमीन पर एक ऊंची इमारत का निर्माण किया गया था।
प्रोफेसर मेधा कुलकर्णी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पुणे नगर निगम (पीएमसी) में नगरसेवक के रूप में की थी। उन्होंने 2014 में पुणे के कोथरुड निर्वाचन क्षेत्र से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता।
हालांकि, उन्हें तत्कालीन विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) और राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल के लिए, 2019 के चुनावों में पार्टी ने उन्हें टिकट देने से इनकार कर दिया था।
टिकट कटने से असंतुष्ट होने पर बाद उन्हें भाजपा महिला मोर्चा का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। भाजपा के तीसरे उम्मीदवार डॉ. अजीत गोपछड़े कम लोकप्रिय नाम है।
नांदेड़ के रहने वाले गोपछड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के कट्टर समर्थक और कार्यकर्ता रहे हैं। वह मौजूदा समय में महाराष्ट्र में भाजपा की चिकित्सक प्रकोष्ठ के प्रमुख हैं।
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