नयी दिल्ली, पांच मार्च महाराष्ट्र सरकार ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जी एन साईबाबा को प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) से संबंध रखने के मामले में बरी करने संबंधी बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया।
इससे पहले दिन में, बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने साईबाबा को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन उनके खिलाफ आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा है।
उच्च न्यायालय ने साईबाबा (54) को सुनाई गई उम्र कैद की सजा भी रद्द कर दी, और मामले में पांच अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘अभियोजन आरोपियों के खिलाफ मामले को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा।’’
अदालत ने गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपित करने के लिए अभियोजन द्वारा हासिल की गई मंजूरी को अमान्य करार दिया।
शारीरिक अशक्तता के कारण चलने-फिरने के लिए व्हील चेयर पर निर्भर साईबाबा, मामले में 2014 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से नागपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)