मद्रास उच्च न्यायालय ने झूठी शान के लिए हत्या के मामले में पांच की मौत की सजा पलटी, लड़की के पिता को बरी किया

चेन्नई, 22 जून मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के तिरुपुर जिले में झूठी शान की खातिर दिन दहाड़े 22 वर्षीय युवक की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी को बरी कर दिया और पांच अन्य दोषियों की मौत की सजा को उम्र कैद में बदल दिया।

न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने कौशल्या के पिता बी चिन्नास्वामी को इस मामले में आपराधिक साजिश समेत सभी आरोपों से बरी कर दिया। कौशल्या के पति शंकर की उदुमलपेट शहर में उसके सामने 2016 में हत्या कर दी गई थी।

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पीठ ने पांच अन्य दोषियों को न्यूनतम 25 साल की उम्र कैद की सजा सुनाई जिसमें किसी प्रकार की छूट का कोई अधिकार नहीं होगा।

चिन्नास्वामी और अन्य को हत्या के मामले में निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। सभी दोषियों ने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। दिन दहाड़े हुई हत्या कैमरे में कैद हो गई थी और इससे लोग आक्रोशित हुए थे।

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उच्च न्यायालय ने कौशल्या की मां और दो अन्य को बरी किए जाने की भी पुष्टि की।

अदालत ने बरी किए गए उन सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्हें हिरासत में रखा गया है, अगर किसी अन्य मामले में उनकी हिरासत की जरूरत नहीं है।

शंकर उदुमलपेट के पास का रहता था और दलित वर्ग से संबंधित था। वह गैर दलित लड़की कौशल्या के प्यार में पड़ गया था। वे दोनों पोल्लची के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में साथ में पढ़ाई करते थे।

उन्होंने कौशल्या के माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी कर ली, इसके बाद लड़की के परिवार ने शंकर की हत्या करने के लिए साजिश रची।

शंकर की 13 मार्च 2016 को तीन सदस्यीय गिरोह ने हत्या कर दी। हमले में कौशल्या को भी चोटें आईं थीं।

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