सतना (मप्र), 26 जुलाई सतना की एक अदालत ने (सतना) जिले के चित्रकूट के जुड़वा मासूम भाइयों की फिरौती के लिए अपहरण करने और फिर उनकी हत्या करने के बहुचर्चित मामले में सोमवार को सभी पांच आरोपियों को दोषी करार देते हुए दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई ।
फरियादी पक्ष के वकील रामरूप पटेल ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार कुशवाह ने इस मामले की सुनवाई करते हुए सभी पांच आरोपियों--पदमकांत शुक्ला, राजू द्विवेदी, आलोक सिंह, विक्रमजीत सिंह और अपूर्व यादव को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ये सभी मुजरिम 23 से 26 साल के बीच के हैं।
पटेल ने कहा कि एक उम्र कैद की सजा पूरी होने पर उनकी दूसरी उम्र कैद की सजा शुरू होगी। उन्होंने बताया कि अदालत ने इन पांच में से तीन आरोपियों पदमकांत, राजू और आलोक को अपहरण एवं हत्या का दोषी माना, जबकि दो आरोपियों विक्रमजीत और अपूर्व यादव को अपहरण एवं आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया।
उन्होंने कहा कि दोषी साबित पाए जाने के पश्चात हमने सभी पांचों को फांसी की सजा की मांग अदालत से की थी, जबकि आरोपी पक्ष की ओर से दलील दी गई कि इन सभी ने पहली बार अपराध किया है और कम उम्र के हैं, इसलिए इनको न्यूनतम सजा दी जाए।
उन्होंने बताया कि इन्होंने गंभीर प्रकृति का अपराध किया है, लेकिन इनकी आयु एवं इत्यादि को देखते हुए अदालत ने इसको आजीवन कारावास में तब्दील किया है।
उन्होंने कहा कि आदेश की कॉपी देखने के बाद हम इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।
पटेल ने बताया कि छह वर्षीय जुड़वा भाई श्रेयांश व प्रियांश उत्तर प्रदेश के चित्रकूट के तेल व्यापारी बृजेश रावत के बेटे थे और दोनों मध्य प्रदेश के सतना जिले के चित्रकूट वाले हिस्से में स्थित स्कूल में पढ़ते थे।
उन्होंने कहा कि 12 फरवरी 2019 को स्कूल परिसर से एक स्कूल बस से छह लोगों ने इनका अपहरण किया था और एक करोड़ रुपये फिरौती मांगी थी। बदमाशों ने दोनों भाइयों की हत्या करने के बाद भी 20 लाख रुपये फिरौती वसूल ली थी और फिरौती मिलने के चार दिन बाद 24 फरवरी को दोनों के शव उत्तर प्रदेश के बांदा जिला में यमुना नदी में मिले थे।
उन्होंने कहा कि जिन पांच अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा दी गई है, वे वर्तमान में केंद्रीय जेल में बंद हैं, जबकि एक आरोपी रामकेश यादव ने जेल में फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली थी।
सं रावत
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