नयी दिल्ली, 16 जनवरी दिल्ली की एक अदालत ने पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद की संलिप्तता वाले नौकरी के बदले कथित भूमि घोटाले से जुड़े मामले में एक आरोपी के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए संबंधित अधिकारियों को बृहस्पतिवार को दो सप्ताह का समय दिया।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने कहा कि यदि मंजूरी की प्रक्रिया सुनवाई की अगली तारीख 30 जनवरी तक पूरी नहीं होती है तो ‘‘सक्षम प्राधिकारी अगली सुनवाई तक लिखित स्पष्टीकरण प्रस्तुत करेगा।’’
न्यायाधीश ने यह निर्देश उस वक्त दिया, जब मामले की जांच कर रही सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने अदालत को बताया कि आरोपी लोक सेवक आर. के. महाजन पर मुकदमा चलाने के संबंध में मंजूरी की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘सक्षम प्राधिकारी को अगली तारीख तक उक्त मामले को निपटाने का निर्देश दिया जाता है क्योंकि वर्तमान कार्यवाही, जिसे उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व के निर्देशों के अनुसार साप्ताहिक आधार पर करने की आवश्यकता है लेकिन आरोप पत्र में उक्त मंजूरी नहीं मिलने की वजह से देरी हो रही है। मामले में जुलाई 2024 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था।’’
न्यायाधीश को 26 नवंबर को सूचित किया गया था कि 30 आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित अधिकारियों से आवश्यक मंजूरी मिल गई है लेकिन महाजन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी का अभी भी इंतजार है।
अधिकारियों के मुताबिक, यह मामला मध्यप्रदेश के जबलपुर स्थित पश्चिम मध्य रेलवे जोन में समूह ‘डी’ भर्तियों से जुड़ा है। यह भर्ती 2004 से 2009 के बीच, लालू प्रसाद के रेल मंत्री रहने के दौरान की गई थी। इन नियुक्तियों के बदले में अभ्यार्थियों ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो के परिवार या सहयोगियों के नाम पर जमीन बतौर उपहार कथित तौर पर हस्तांतरित किया था।
संघीय एजेंसी ने 18 मई 2022 को लालू प्रसाद और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
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