नयी दिल्ली, 28 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि भूमि अधिग्रहण और उचित मुआवजे के भुगतान के मुद्दे पर पांच सदस्यीय संविधान पीठ के निर्णय में कुछ स्पष्टता की आवश्यकता है क्योंकि इससे भ्रम पैदा हो रहा है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की तीन सदस्यीय पीठ ने टिप्पणी की ‘कुछ सवाल हैं’ जिन पर विचार की जरूरत है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मेरे दिमाग में कुछ सवाल हैं। मैं इन पर अपने सहयोगी न्यायाधीशों के साथ चर्चा करना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि संविधान पीठ का फैसला भ्रम पैदा करता है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘मान लीजिए कि एक ऐसी संपत्ति है, जिसे सरकार ने अपने कब्जे में नहीं लिया है और मुआवजा भी नहीं दिया है, ऐसी स्थिति में अधिग्रहण खत्म हो जायेगा। ’’
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पीठ ने कहा, ‘‘पांच न्यायाधीशों का कहना है कि अगर सरकार ने कब्जा ले लिया, लेकिन मुआवजा नहीं दिया तो अधिग्रहण खत्म नहीं होगा।’’
पीठ ने कहा, ‘‘कितने समय तक, यही सवाल है। सरकार कितने समय तक मुआवजा नहीं देगी और अधिग्रहण जारी रहेगा?’’
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस साल छह मार्च को अपने फैसले में कहा था कि भूमि अधिग्रहण और भूस्वामियों को मुआवजे के उचित भुगतान का मामला 2013 के कानून के तहत फिर से नहीं खोला जा सकता अगर कानूनी प्रक्रिया एक जनवरी, 2014 से पहले पूरी हो गयी है।
संविधान पीठ ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुन:रहवास कानून, 2013 की धारा 23 की व्याख्या की थी क्योंकि उचित मुआवजा और इसकी प्रक्रिया में पादर्शिता को लेकर शीर्ष अदालत की अलग-अलग पीठ के फैसलों में भिन्नता थी।
इस कानून की धारा 24 उन परिस्थितियों के बारे में है जब अधिग्रहण की कार्यवाही को खत्म माना जाएगा।
इस प्रावधान के अनुसार अगर भूमि अधिग्रण के मामले में मुआवजे के बारे में एक जनवरी, 2014 तक कोई अवार्ड नहीं दिया जाता है तो मुआवजे के निर्धारण के लिये 2013 का कानून लागू होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर चर्चा करेंगे और फिर सुनवाई करेंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमारे कुछ सवाल हैं। इसमें ऐसा कुछ है, जिसके बारे में हम आश्वस्त होना चाहते हैं। ’’ पीठ ने कहा कि इस मामले में दो सप्ताह बाद सुनवाई की जायेगी।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून की धारा 24 से संबंधित इन मामलों को लंबित रखा गया था क्योंकि यह मामला संविधान पीठ के पास भेज दिया गया था।
उन्होंने कहा कि इस तरह के अनेक मामले शीर्ष अदालत और विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित हैं।
मेहता ने कहा, ‘‘संविधान पीठ का यह फैसला प्रत्येक मामले के तथ्यों के आधार पर ही लागू होगा।’’
अनूप
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