देश की खबरें | कुलदीप सेंगर ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की मौत के मामले में सजा निलंबित करने का अनुरोध किया
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नयी दिल्ली, 16 जनवरी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से निष्कासित नेता कुलदीप सेंगर ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से उसे दी गई 10 साल जेल की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया।
सेंगर ने इस आधार पर राहत का अनुरोध किया कि दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ उसकी अपील पर उच्च न्यायालय द्वारा अभी निर्णय लिया जाना बाकी है, जबकि वह पहले ही जेल में काफी समय बिता चुका है।
पूर्व विधायक चिकित्सा आधार पर 20 जनवरी तक अंतरिम जमानत पर है। सेंगर ने अदालत से यह भी आग्रह किया कि 24 जनवरी को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में होने वाली मोतियाबिंद की सर्जरी के कारण उसकी जमानत की अवधि बढ़ा दी जाए।
सेंगर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील ने कहा कि धारा 304 भाग (दो) (गैर इरादतन हत्या) के तहत अपराध के लिए 10 साल की कैद के अलावा निचली अदालत ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत अन्य अपराधों के लिए एक महीने से लेकर सात साल तक की सजा सुनाई है, जिसे उसने पूरा कर लिया है।
मामले को 17 जनवरी के लिए सूचीबद्ध करते हुए न्यायमूर्ति विकास महाजन ने सेंगर के वकील से कुछ आदेश रिकॉर्ड पर रखने को कहा और सीबीआई से सेंगर के मेडिकल रिकॉर्ड की पुष्टि करने को भी कहा।
वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘यह सजा के निलंबन के लिए आवेदन है। याचिकाकर्ता को जो सजा दी गई थी उसे लगभग पूरा कर लिया गया है। (जेल में) याचिकाकर्ता ने वास्तव में आठ साल और एक महीने का समय बिताया है। मेरे खिलाफ नौ आरोप थे... मैंने एक (10 साल की) को छोड़कर सभी सजाएं काट ली हैं... 24 जनवरी को एम्स में मोतियाबिंद की सर्जरी है। अपील पर अभी सुनवाई होनी बाकी है।’’
अदालत को बताया गया कि छह अन्य की भी सजा को निलंबित कर उन्हें राहत दी गई है।
सेंगर की याचिका का केंद्रीय अन्वेषण अभिकरण (सीबीआई) के वकील ने विरोध किया, जिन्होंने दलील दी कि वह ‘‘मुख्य आरोपी’’ है, जिसकी रिहाई बलात्कार पीड़िता के लिए खतरा होगी और वह अन्य आरोपियों से समानता का दावा नहीं कर सकता।
सीबीआई के वकील ने कहा कि निलंबन की राहत के अनुरोध वाली उसकी पिछली याचिका को पिछले साल जून में उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था और जहां तक सर्जरी के संबंध में अंतरिम निलंबन का मुद्दा है तो उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने पिछले महीने कहा था कि इसमें कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा।
सेंगर के वकील ने कहा कि वह कानूनी तौर पर इस स्तर पर सजा के निलंबन का लाभ पाने का हकदार है और वह किसी भी नियम और शर्त को झेलने के लिए तैयार है।
उच्च न्यायालय ने 23 दिसंबर को उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में चिकित्सा आधार पर सेंगर की अंतरिम जमानत 20 जनवरी तक बढ़ा दी थी। उन्नाव बलात्कार मामले में खंडपीठ द्वारा इसी तरह के निलंबन आदेश के कारण यह राहत दी गई थी।
सेंगर को नाबालिग पीड़िता से बलात्कार का दोषी ठहराया गया और 20 दिसंबर, 2019 को उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। लड़की को 2017 में सेंगर ने कथित रूप से अगवा कर लिया था और उससे बलात्कार किया था। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी।
बलात्कार मामले में निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली उसकी अपील उच्च न्यायालय में लंबित है। उसने बलात्कार मामले में उसे दोषी ठहराने वाले 16 दिसंबर, 2019 के निचली अदालत के फैसले को रद्द करने और बलात्कार मामले में सजा के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया है।
निचली अदालत ने 13 मार्च, 2020 को सेंगर को बलात्कार पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी, साथ ही 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। निचली अदालत ने कहा कि परिवार के ‘‘एकमात्र कमाने वाले’’ की हत्या के लिए ‘‘कोई नरमी’’ नहीं दिखाई जा सकती।
लड़की के पिता को सेंगर के कथित इशारे पर शस्त्र अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था और नौ अप्रैल, 2018 को पुलिस की बर्बरता के कारण हिरासत में उनकी मौत हो गई थी।
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