कोविड-19 : कई राज्यों ने 'अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं' को पृथक वास में भेजा
देश में संक्रमण के मामले 6500 के आसपास पहुंचने और मृतकों का आंकड़ा 200 के करीब पहुंचने के बीच राज्य के विभागों ने 'अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं' के लिए पृथक वास जैसे कदम उठाने शुरू किए हैं। हालांकि, अब तक भारत में कितने स्वास्थ्य पेशेवरों को पृथक वास में रखा गया है, इसको लेकर कोई अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
नयी दिल्ली/इंदौर, नौ अप्रैल इंदौर में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस संक्रमित 62 वर्षीय डॉक्टर की मौत हो गई। इसके बाद देशभर के कई हिस्सों में संक्रमित पाए गए स्वास्थ्यकर्मियों को पृथक वास में भेज दिया गया। संभवत: देश में कोरोना वायरस संक्रमण से किसी डॉक्टर की मौत का यह पहला मामला सामने आया है।
देश में संक्रमण के मामले 6500 के आसपास पहुंचने और मृतकों का आंकड़ा 200 के करीब पहुंचने के बीच राज्य के विभागों ने 'अग्रिम पंक्ति के कोरोना योद्धाओं' के लिए पृथक वास जैसे कदम उठाने शुरू किए हैं। हालांकि, अब तक भारत में कितने स्वास्थ्य पेशेवरों को पृथक वास में रखा गया है, इसको लेकर कोई अलग से आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
महामारी के समय में मुश्किल हालात में काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों पर कई जगह हमलों के मामले भी सामने आए। हालांकि, स्वास्थ्यकर्मियों के जज्बे की तमाम नेताओं ने सराहना की। वहीं, केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोगों की जान बचाने के लिए पूरी तरह प्रयास करने के चलते ही इन्हें ' कोरोना योद्धा' करार दिया।
डॉक्टरों पर हमले की घटनाओं पर चिंता जाहिर करते हुए भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने ऐसे अपराधों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून लाने की मांग की। दूसरी तरफ, सफदरजंग अस्पताल की दो कनिष्ठ महिला डॉक्टरों पर दो दिन पहले इस अफवाह के बाद हमला किया गया था कि वे कोरोना वायरस फैला रही हैं। डॉक्टरों के साथ हुए ऐसे बर्ताव के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्यकर्मियों से दुर्व्यवहार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
आईएमए के अध्यक्ष रंजन शर्मा ने कहा, '' यह घृणा की भावना है। अग्रिम पंक्ति में खड़े होकर घातक बीमारी से जूझ रहे मेडिकल पेशेवरों पर हमला किसी भी तरह सही नहीं ठहराया जा सकता। आईएमए हिंसा बर्दाश्त नहीं कर सकता और खासकर ऐसे समय में मुझे हैरानी होती है कि मैं एक डॉक्टर के नाते किससे लड़ रहा हूं? चंद लोगों का समूह हमला कर रहा है और मार रहा है और अधिकतर लोग चुप हैं।''
दिल्ली में महिला डॉक्टरों पर हुए हमले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
इंदौर में डॉक्टर की मौत के मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रवीण जड़िया ने बताया कि 62 वर्षीय जनरल फिजिशियन ने एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान आखिरी सांस ली। वह जांच में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे।
उन्होंने कहा, " हमें लगता है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद दम तोड़ने वाले डॉक्टर कोविड-19 के किसी मरीज के इलाज के दौरान उसके संपर्क में आए होंगे। हम पता लगा रहे हैं कि वह इस संक्रमण की चपेट में कैसे आए थे।"
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