नयी दिल्ली, एक जून आम आदमी पार्टी सरकार ने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि उसने मृतकों की कोविड-19 जांच करना बंद कर दिया है जिसके कारण संक्रमण से मौत की आशंका होने पर मृतकों के रिश्तेदार शव लेने नहीं आ रहे हैं, जिससे अस्पतालों को पार्थिव शवों का निस्तारण करने में देर हो रही है।
दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में एक दाखिल एक हलफनामे में कहा, “कोविड-19 के संदिग्ध मरीजों की बिना जांच हुए मौत हो गई और जांच रिपोर्ट के अभाव में उनके रिश्तेदार शव लेने नहीं आ रहे हैं और शवों की जांच बंद कर दी गई है।”
यह भी पढ़े | Rajya Sabha Elections 2020: राज्यसभा की 18 सीटों के साथ ही 6 अन्य सीटों पर 19 जून को होगी वोटिंग.
शवों के निस्तारण में हो रही देर का एक कारण बीमारी से उपजा सामाजिक कलंक और पृथक-वास में जाने का भय भी है।
अधिवक्ता संजय घोष के माध्यम से दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा, “यह अपरिहार्य कारणों से एक बार हुई घटना है और भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए सभी उपाय किए जा रहे हैं।”
यह भी पढ़े | बिहार विधानसभा चुनाव के लिए BJP ने तैयार की चुनावी रणनीति, 9 जून को अमित शाह फूकेंगे चुनावी बिगुल.
हलफनामे में कहा गया कि उठाए गए कदमों में से एक यह है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड-19 से होने वाली मौत वाले शवों के समय पर निस्तारण की जिम्मेदारी तय कर दी गई है जिसके तहत उस अस्पताल के निदेशक पर शवों के निस्तारण की जिम्मेदारी होगी जहां मरीज की मौत हुई या उसे मृत अवस्था में लाया गया।
हलफनामे में कहा गया कि शवों के निस्तारण में देरी का एक कारण यह भी है कि मृतकों के रिश्तेदारों को गलत जानकारी दी गई कि अस्पताल शव का निस्तारण करेगा जबकि अस्पताल इसमें केवल सहायता ही कर सकता है और शवों को मृतक के परिजनों को ले जाना होगा।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)