मुंबई, 14 अगस्त विधान पार्षदों के नामांकन पर बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के कुछ घंटे बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है।
उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य के राज्यपाल ‘उचित समय’ के भीतर विधान पार्षदों के नामांकन पर निर्णय लेने के लिए बाध्य हैं।
राजभवन ने शुक्रवार शाम को हुई बैठक को ‘शिष्टाचार भेंट’ करार दिया।
कोश्यारी द्वारा अपने कोटे से विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्यों के रूप में 12 व्यक्तियों को नामित करने के लिए महाराष्ट्र मंत्रिपरिषद द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर निर्णय लेने में देरी राज्यपाल और महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के बीच विवाद का एक प्रमुख कारण बन गई है।
उच्च न्यायालय ने नामांकनों पर फैसला लेने के संबंध में राज्यपाल को निर्देश के अनुरोध के लिए नासिक के एक व्यक्ति द्वारा दाखिल याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। उच्च न्यायालय ने कहा कि विधान परिषद (एमएलसी) के सदस्यों के रूप में 12 व्यक्तियों को नामित करने के लिए राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को ‘‘उचित समय के भीतर’’ स्वीकार या अस्वीकार करना महाराष्ट्र के राज्यपाल का ‘‘संवैधानिक दायित्व’’ है।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ ने कहा कि मंत्रिपरिषद द्वारा राज्यपाल को सूची भेजे जाने के आठ महीने बीत चुके है और यह ‘‘उचित समय’’ है। इस गतिरोध को दूर करना होगा।
मंत्रिपरिषद ने नवंबर 2020 में परिषद के सदस्यों के लिए 12 नामों की सिफारिश की थी। राज्यपाल के कोटे से सदस्यों का कार्यकाल पिछले साल जून में खत्म हो गया था। सरकार ने दलील दी थी कि राज्यपाल को नामांकन पर उसके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेना चाहिए और वह अपना निर्णय लंबित नहीं रख सकते।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)