वायनाड (केरल), 31 जुलाई केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 167 हो गई है जबकि 191 लोग लापता हैं। बचाव दल ने तलाशी अभियान के दूसरे दिन मलबे में फंसे लोगों को खोजने के प्रयास तेज कर दिए।
उफनती नदियों पर छोटे-छोटे अस्थायी पुल बनाए गए हैं और भूस्खलन प्रभावित वायनाड के इलाकों में मलबे और पत्थरों के ढेर को हटाने के लिए मशीनों की मदद ली जा रही है। सेना के जवान, एनडीआरएफ, राज्य आपात सेवा के जवान और स्थानीय लोगों समेत बचावकर्मी कई इलाकों में बारिश जारी रहने के बावजूद इस कठिन अभियान को अंजाम देने के लिए सभी बाधाओं से जूझ रहे हैं।
कई बार उस वक्त तनावपूर्ण स्थिति भी बनी जब महिलाओं और बच्चों सहित लोगों को उफनती नदियों पर बने संकरे, अस्थायी पुलों के जरिये सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा था।
कुछ स्थानों पर बचावकर्मियों ने लोगों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित करने के लिए रस्सियों का इस्तेमाल करके पुल बनाए।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन कहा, ‘‘वायनाड में बचाव अभियान पूरे जोरों पर जारी है। हमने अपनी धरती पर पहले कभी ऐसे भयानक दृश्य नहीं देखे हैं।’’
वायनाड जिला प्रशासन ने भूस्खलन में 167 लोगों की मौत की पुष्टि की है।
भूस्खलन की घटनाएं मंगलवार को तड़के मुंडक्कई, चूरलमाला में हुईं, जिससे अपने घरों में सो रहे लोगों को जान बचाने का मौका तक नहीं मिल सका।
बुधवार सुबह भूस्खलन से तबाह मुंडक्कई गांव में बचाव अभियान फिर से शुरू होने पर जमींदोज हुए मकानों के अंदर बैठे और लेटी हुई अवस्था में शवों के भयावह दृश्य देखने को मिले।
जिला प्रशासन ने कहा कि जान गंवाने वाले 167 लोगों में 22 बच्चे भी हैं। इसने कहा कि 96 शवों की पहचान कर ली गई है।
प्रशासन ने कहा कि मृतकों में 77 पुरुष और 67 महिलाएं शामिल हैं।
इससे पहले तिरुवनंतपुरम में संवाददाता सम्मेलन में विजयन ने कहा था कि 191 लोग अभी भी लापता हैं।
अधिकारियों ने बताया कि 166 शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया। उन्होंने बताया कि तलाशी अभियान के दौरान 61 शारीरिक अंग भी मिले हैं जिनमें से 49 का पोस्टमॉर्टम करा लिया गया है।
उन्होंने बताया कि 75 शव रिश्तेदारों को सौंप दिए गए हैं।
जिला प्रशासन के अनुसार, आपदा प्रभावित क्षेत्रों से 219 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया जिनमें 78 का उपचार अब भी जारी है जबकि 142 लोगों को इलाज के बाद शिविरों में स्थानांतरित कर दिया गया है। वर्तमान में, 73 लोग वायनाड में और पांच मलप्पुरम में इलाज करा रहे हैं।
मूसलाधार बारिश के कारण बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा गांवों को अपनी चपेट में ले लिया जिससे जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ है।
वायनाड के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में बचाव अभियान तेज करने के प्रयास में मुंडक्कई और चूरलमाला के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों को जोड़ने के लिए 190 फुट लंबा ‘बेली ब्रिज’ बनाया जा रहा है।
चौबीस टन भार क्षमता वाले इस पुल का निर्माण बृहस्पतिवार की शाम तक पूरा होने की उम्मीद है।
इसकी लंबाई के कारण, पुल का निर्माण नदी के बीच में एक घाट के साथ किया जा रहा है जिससे इसके पूरा होने पर बचाव कार्य में सुविधा होगी।
पुल निर्माण के लिए सामग्री दिल्ली और बेंगलुरु से चूरलमाला पहुंचाई जा रही है। कन्नूर हवाई अड्डे पर पहुंचाई गई सामग्री को 17 ट्रक में भरकर वायनाड ले जाया जा रहा है।
इससे पहले दिन में मुख्यमंत्री विजयन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में आपदा में जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की गई।
विजयन ने कहा कि जिले के मुंडक्कई और चूरलमाला इलाकों में दृश्य भयानक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये दोनों इलाके पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि आपदा क्षेत्र से अधिक से अधिक लोगों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दो दिन के बचाव अभियान में 1,592 लोगों को बचाया गया। समन्वित और व्यापक प्रयासों के तहत इतने कम समय में अधिक से अधिक लोगों को बचाया जा सका है।’’
भूस्खलन के बाद जारी बचाव अभियान के परिणामस्वरूप फंसे हुए 1,386 लोगों और अपने घरों में फंसे लोगों को बचाया गया।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा बच्चों और गर्भवती महिलाओं समेत 8,017 लोगों को जिले में 82 शिविरों में स्थानांतरित किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘मेप्पडी में आठ शिविर हैं, जहां फिलहाल 421 परिवारों के 1,486 लोग रह रहे हैं।’’
थलसेना, नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के बचाव दल मलबे में दबे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं।
रक्षा विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, क्षेत्र में तैनात सेना की टुकड़ियों ने मंगलवार रात तक प्रभावित क्षेत्रों से लगभग एक हजार लोगों को बचाया।
इसके अलावा, वायुसेना तलाशी और बचाव कार्यों में समन्वय के लिए प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण कर रही है।
कुछ स्थानों पर बचावकर्मियों ने लोगों को सुरक्षित ढंग से निकालने के लिए रस्सियों का उपयोग करके पुल बनाए। जोखिम भरे इलाकों में लोगों को लकड़ी के प्लेटफार्म पर बैठाकर उफान पर आई नदी के पार पहुंचाया गया।
केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन की स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने बचाव प्रयासों के लिए राज्य को हरसंभव सहायता देने का वादा किया है।
कुरियन ने वायनाड में भूस्खलन से प्रभावित लोगों से मुलाकात की।
बुधवार को यहां एक प्रेस विज्ञप्ति में कुरियन के हवाले से कहा गया, ‘‘केंद्र सरकार स्थिति पर नजर रख रही है। प्रधानमंत्री स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उन्होंने मुझे प्रभावित इलाकों का दौरा करने के लिए भेजा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय के दोनों नियंत्रण कक्ष चौबीसों घंटे स्थिति पर नजर रख रहे हैं और राज्य को हरसंभव सहायता मुहैया करा रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री कार्यालय ने बताया कि सेना वायनाड के चूरलमाला में बचाव कार्यों के लिए एक ‘बेली पुल’ का निर्माण करेगी।
केरल सरकार ने वायनाड में आपदाग्रस्त इलाकों से बचाए गए लोगों को तत्काल चिकित्सा सहायता मुहैया कराने के लिए चूरलमाला में नियंत्रण कक्ष में ऑक्सीजन से लैस एम्बुलेंस के साथ एक चिकित्सा केंद्र बनाने का फैसला किया है।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने बुधवार को घोषणा की कि वह भूस्खलन प्रभावित वायनाड में आपदा राहत कार्यों के लिए एक महीने का वेतन दान करेंगे। राजभवन के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
बोस फिलहाल बचाव कार्यों और घायलों के उपचार की निगरानी के लिए अपने गृह राज्य केरल में हैं।
बोस ने प्रभावित क्षेत्रों के दौरे के दौरान वायनाड में आपदा के पीड़ितों के साथ बंगाल के लोगों की एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने भूस्खलन प्रभावित स्थानों, राहत शिविरों, अस्पतालों और शवगृहों का दौरा किया और पीड़ितों तथा मंगलवार की आपदा में मारे गए लोगों के परिजनों से बातचीत की।
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