मानसून के दौरान आपदाओं को रोकने के लिए केरल सरकार त्वरित कार्रवाई करे: उच्च न्यायालय
केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार को मानसून के दौरान आपदाओं को रोकने के लिए 'उचित और त्वरित कार्रवाई' करनी चाहिए. न्यायालय ने राज्य में बाढ़ राहत गतिविधियों की निगरानी के लिए स्वयं एक जनहित याचिका पर विचार शुरू किया है.
कोच्चि, 7 अगस्त : केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य सरकार को मानसून के दौरान आपदाओं को रोकने के लिए 'उचित और त्वरित कार्रवाई' करनी चाहिए. न्यायालय ने राज्य में बाढ़ राहत गतिविधियों की निगरानी के लिए स्वयं एक जनहित याचिका पर विचार शुरू किया है. उच्च न्यायालय ने अपनी रजिस्ट्री को इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य और उसके स्थानीय स्वशासन, बिजली एवं जल संसाधन, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) के विभागों को सूचीबद्ध करके याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया है.
उच्च न्यायालय ने कहा, "केरल राज्य में मूसलाधार बारिश से कई जगहों पर भूस्खलन, पानी के भरने आदि के कारण आपदा आती है. भारी बारिश के परिणामस्वरूप पोराम्बोक भूमि, कॉलोनियों, पहाड़ियों, अलग-अलग स्थानों, वृक्षारोपण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की संपत्ति को नुकसान होता है." न्यायालय ने कहा, "केरल राज्य को आपदाओं की रोकथाम के लिए उचित और त्वरित कार्रवाई करनी होगी. भारी बारिश के कारण राज्य के कुछ क्षेत्रों में बाढ़ भी आई है." यह भी पढ़ें : उत्तराखंड : गोरी नदी खतरनाक रूप से गांवों की तरफ बह रही
इस बीच, राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि राज्य में सभी प्रमुख बांधों के संचालन की निगरानी के लिए एक समिति है और इसकी अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) करते हैं और इसके सदस्यों में केएसडीएमए अतिरिक्त मुख्य सचिव (जल संसाधन), प्रमुख सचिव (विद्युत), मुख्य अभियंताओं और बांधों वाले जिलों के संबंधित जिलाधिकारी शामिल हैं. गौरतलब है कि केरल में 31 जुलाई से भारी बारिश हो रही है और भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने कई दिनों तक राज्य के विभिन्न जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है. राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) ने कहा है कि केरल में बारिश से जुड़ी विभिन्न घटनाओं में 31 जुलाई से छह अगस्त के बीच 21 लोगों की जान चली गई जबकि पांच लोग लापता हैं.