देश की खबरें | पत्रकार ने उप्र में अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उत्तर प्रदेश में सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी संबंधी रिपोर्ट के लिए अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक पत्रकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
नयी दिल्ली, 26 सितंबर उत्तर प्रदेश में सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी संबंधी रिपोर्ट के लिए अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए एक पत्रकार ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया जाना राज्य के कानून लागू करने वाले तंत्र का ‘‘दुरुपयोग’’ करके उसकी आवाज दबाने का स्पष्ट प्रयास है और आगे किसी भी तरह के उत्पीड़न को रोकने के लिए इसे रद्द किया जाना चाहिए।
पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका में दावा किया गया है कि जब उन्होंने ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ शीर्षक से स्टोरी की तो लखनऊ के हजरतगंज थाने में उनके नाम प्राथमिकी दर्ज की गई।
याचिका में कहा गया है कि प्राथमिकी भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 353 (2) (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान), 197 (1) (सी) (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप या कथन प्रकाशित करना), 356 (2) (मानहानि के लिए सजा) और 302 (जानबूझकर किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले शब्द बोलना) और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई।
अधिवक्ता अनूप प्रकाश अवस्थी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि इस स्टोरी से, यहां तक कि इसके प्रथम दृष्टया मूल्यांकन से भी, किसी अपराध के होने का खुलासा नहीं होता है।
याचिका में कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता ने इसलिए अदालत का रुख किया है क्योंकि उप्र पुलिस के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल द्वारा कानूनी कार्रवाई की धमकी दी गई और याचिकाकर्ता को यह जानकारी नहीं है कि उत्तर प्रदेश या कहीं और इस मुद्दे पर उसके खिलाफ कितनी अन्य प्राथमिकी दर्ज हैं।’’
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