नयी दिल्ली, 27 नवंबर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने आईएनएक्स मीडिया मामले में उनके खिलाफ धनशोधन के आरोपों का निचली अदालत द्वारा संज्ञान लिये जाने को बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी और दलील दी कि उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनिवार्य मंजूरी नहीं ली गई।
चिदंबरम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एन. हरिहरन ने दलील दी कि 2021 में जब निचली अदालत ने आरोप-पत्र दाखिल करने के बाद धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराधों का संज्ञान लिया था, तब ईडी ने मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अपेक्षित मंजूरी नहीं ली थी।
यह दलील दी गयी कि चूंकि कथित अपराध के समय चिदंबरम लोक सेवक थे, इसलिए एजेंसी का दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के अनुसार मंजूरी प्राप्त करना आवश्यक था।
ईडी के वकील ने कहा कि धनशोधन मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोप किसी आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन का हिस्सा नहीं हो सकते।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी 28 नवंबर को अब मामले की सुनवाई करेंगे।
सीबीआई ने 15 मई, 2017 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान 2007 में 305 करोड़ रुपये की विदेशी निधि प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया समूह को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताएं हुईं।
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