देश की खबरें | भारत का ग्रीनहाउस गैस समस्या में योगदान नहीं, लेकिन समाधान में भूमिका निभाएगा: पर्यावरण मंत्री

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन की समस्या में भारत का कोई योगदान नहीं है, लेकिन इस समस्या के समाधान में भारत बड़ी भूमिका निभाएगा।

दिल्ली में जारी ‘रायसीना डायलाग-2022’ के तीसरे दिन पर्यावरण मंत्री ने दावा किया कि विकसित देश विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तीय सहायता (क्लाइमेट फइनेंस) उपलब्ध कराने और तकनीकी हस्तांतरण के अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं। यादव ने माना कि आर्थिक संपन्नता हासिल करने और अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के प्रति भारत प्रतिबद्ध है।

यादव ने कहा कि हम आर्थिक समृद्धि प्राप्त करने के साथ-साथ अपने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने कहा कि जो देश पहले से अधिक कार्बन उत्सर्जन कर रहे हैं, वे विकासशील देशों को अपने लोगों की आकांक्षाओं पर पाबंदी लगाने के लिए नहीं कह सकते हैं।

पर्यावरण मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा नजरिया पूरी तरफ साफ है कि कोयले को चरणबद्ध तरीके से समाप्त नहीं किया जा रहा है, बल्कि चरणबद्ध तरीके से इसके इस्तेमाल को कम किया जा रहा है, लेकिन भारत अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने को लेकर प्रतिबद्ध है।’’

दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या के मद्देनजर उन्होंने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी की सख्त जरूरत है।

यादव ने कहा कि बहुत सी ऐसी तकनीक हैं जिनका हस्तांतरण निश्चित रूप से किया जाना चाहिए। उन्होंने ‘हाइड्रोजन मिशन’ का जिक्र करते हुए कहा कि भारत भी हरित प्रौद्योगिकी पर काम कर रहा है, लेकिन दुनिया में हरित प्रौद्योगिकी को लेकर जो भी प्रगति होती है, वह विकासशील देशों को भी दी जानी चाहिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘पंचामृत’’ का उल्लेख किया, जिसकी घोषणा पिछले साल ब्रिटेन के ग्लासगो में कॉप-26 की बैठक में की गई थी। उन्होंने कहा कि ये पंचामृत वैश्विक उत्सर्जन की समस्या को हल करने में भारत के योगदान को दिखाते हैं।

ये पंचामृत हैं-भारत की गैर जीवाश्म ईंधन ऊर्जा क्षमता वर्ष 2030 तक 500 मेगावाट हो जाएगी, वर्ष 2030 तक भारत अपनी ऊर्जा जरूरत का 50 फीसदी की पूर्ति अक्षय ऊर्जा स्रोत से करेगा, वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कटौती, भारत की अर्थव्यवस्था में कार्बन सघनता वर्ष 2030 तक 45 फीसदी घट जाएगी, भारत वर्ष 2070 में निवल-शून्य के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।

मंत्री ने कहा कि भारत जी-20 के उन देशों में शामिल है, जिन्होंने अपना राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) और लक्ष्य हासिल किए।

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