भारत ने धार्मिक आधार पर मरीजों को अलग करने संबंधी USCIRF की आलोचना को किया खारिज

भारत ने बुधवार को ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के आयोग’की आलोचना को खारिज किया और कहा कि उसकी आलोचना इस गुमराह करने वाली रिपोर्ट पर आधारित है कि अहमदाबाद में कोविड-19 के मरीजों को धार्मिक पहचान के आधार पर अलग किया गया है.

कोरोना वायरस का कहर (Photo Credits: IANS)

भारत (India) ने बुधवार को ‘अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिका के आयोग’ (United States Commission on International Religious Freedom) की आलोचना को खारिज किया और कहा कि उसकी आलोचना इस गुमराह करने वाली रिपोर्ट पर आधारित है कि अहमदाबाद में कोविड-19 के मरीजों को धार्मिक पहचान के आधार पर अलग किया गया है. मीडिया में यह खबर आई थी कि गुजरात के अहमदाबाद में एक सरकारी अस्पताल में संक्रमित मरीजों को उनके धर्म के आधार पर अलग किया गया है. इसके बाद अमेरिकी आयोग ने भारत में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के तरीके पर चिंता जताई थी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की टिप्पणी क्या पहले ही काफी नहीं है जो वह अब भारत में कोविड-19 से निपटने के लिए पालन किए जाने वाले पेशेवर मेडिकल प्रोटोकॉल पर गुमराह करने वाली रिपोर्टों को फैला रहा है. उन्होंने कहा कि सिविल अस्पताल में धर्म के आधार पर मरीजों को अलग नहीं किया जा रहा है और इस बाबत गुजरात सरकार ने सफाई दी है.

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श्रीवास्तव ने कहा कि यूएससीआईआरएफ को कोरोना वायरस महामारी से निपटने के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को धार्मिक रंग देना बंद करना चाहिए. इससे पहले अमेरिकी आयोग ने ट्वीट किया था कि वह इन खबरों को लेकर चिंतित है कि अस्पताल में हिंदू और मुस्लिम मरीजों को अलग किया जा रहा है. उसने कहा था, ‘‘ इस तरह के कदम भारत में मुसलमानों को कलंकित किए जाने की घटनाओं को बढ़ाने में मदद करेंगे और इन अफवाहों को और तीव्र करेंगे कि मुस्लिम (Muslim) कोविड-19 (Covid-19) फैला रहे हैं.’’

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