दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बनने की संभावना रखता है भारत: PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में जितना कोयला भंडार है, उस हिसाब से देश को दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बनने का लक्ष्य रखना चाहिए. प्रधानमंत्री कोयला ब्लाकों में वाणिज्यिक खनन लाइसेंस की नीलामी प्रक्रिया के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नीलामी प्रक्रिया का उद्घाटन किया.
नई दिल्ली, 18 जून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में जितना कोयला भंडार है, उस हिसाब से देश को दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बनने का लक्ष्य रखना चाहिए. प्रधानमंत्री कोयला ब्लाकों में वाणिज्यिक खनन लाइसेंस की नीलामी प्रक्रिया के उद्घाटन के मौके पर बोल रहे थे. प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नीलामी प्रक्रिया का उद्घाटन किया. उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में उठाया गया कदम बताया. वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लाकों की नीलामी से सरकार को देश में अगले पांच से सात साल में 33,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश की उम्मीद है.
इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा, "भारत कोरोना से लड़ेगा भी, जीतेगा भी और आगे बढ़ेगा भी. भारत इसे बड़ी आपदा समझ कर रोते या बैठे रहने के पक्ष में नहीं है. बल्कि इसे अवसर में बदलने के लिए कृतसंकल्प है. कोरोना के इस संकट ने भारत को आत्मनिर्भर भारत होने का सबक भी दिया है."
मोदी ने कहा कि आज हम सिर्फ वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लकों की नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत नहीं कर रहे हैं. बल्कि कोयला क्षेत्र को ‘दशकों के लॉकडाउन’ से भी बाहर निकाल रहे हैं.
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उन्होंने कहा, "जो देश कोयला भंडार के हिसाब से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश हो और जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक हो. वो देश कोयले का निर्यात नहीं करता बल्कि हमारा देश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला आयातक है. बड़ा सवाल ये है कि जब हम दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक बन रहे हैं तो हम सबसे बड़े निर्यातक क्यों नहीं बन सकते?"
उन्होंने कहा कि भारत का लक्ष्य दुनिया का सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बनना होना चाहिए.
मोदी ने दोहराया कि देश कोरोना वायरस संकट को अवसर में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, "हमने साल 2030 तक, मतलब की आने वाले दशक में करीब 10 करोड़ टन कोयले को गैस में बदलने का लक्ष्य रखा है. मुझे बताया गया है कि इसके लिए 4 परियोजनाओं की पहचान हो चुकी है और इन पर करीब-करीब 20 हज़ार करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा."
कोयला क्षेत्र की पिछली नीतियों पर सवाल करते हुए और कोयला आवंटन में हुए घोटालों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "देश के कोयला क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा से बाहर रखास गया. पारदर्शिता की एक बहुत बड़ी समस्या बार-बार सामने आई है. ईमानदारी से नीलामी को छोड़िए, कोयला ब्लकों के आवंटन में बड़े-बड़े घोटालों की चर्चा हर किसी ने सुनी है."
उन्होंने कहा, "इस वजह से देश के कोयला क्षेत्र में निवेश भी कम होता था और उसकी क्षमता भी हमेशा सवालों के घेरे में रहती थी. कोयला निकलता किसी राज्य से था, जाता सैकड़ों किलोमीटर दूर किसी अन्य राज्य के बिजली संयंत्र को था, जबकि उसी राज्य के बिजनी संयंत्र कोयले का इंतजार करते रह जाते थे. यानि काफी कुछ अस्त-व्यस्त था." मोदी ने कहा, "अब नीलामी प्रक्रिया में पूरी पादर्शिता है. साथ ही कई और बड़े सुधार भी किए गए हैं."
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प्रधानमंत्री ने कहा कि वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लकों की नीलामी सभी हितधारकों के लिए लाभ की स्थिति लाने वाली है. इसका लाभ स्थानीय लोगों को, उद्योगों को और राज्य सरकारों को होगा. रोजगार के अवसर पैदा होंगे. नए संसाधनों तक पहुंच बनेगी. उन्होंने कहा, ‘‘अब भारत ने कोयला और खनन के क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा के लिए, पूंजी के लिए, भागीदारी और प्रौद्योगिकी के लिए, पूरी तरह से खोलने का बहुत बड़ा फैसला लिया है. इसका भी ध्यान रखा गया है कि जो नए भागीदार, निजी कंपनियां खनन क्षेत्र में आएं, उन्हें वित्त के कारण कोई दिक्कत न हो. नए लोगों को प्रोत्साहित करने का भी ध्यान रखा गया है.’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस नीलामी प्रक्रिया से राज्यों की आय बढ़ने के साथ-साथ सूदूर इलाकों का विकास होगा और रोजगार का निर्माण होगा. मोदी ने कहा कि इन कोयला ब्लकों की नीलामी प्रक्रिया का शुरू होना ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत की गयी घोषणाओं का ही हिस्सा है. यह राज्य सरकारों की आय में सालाना 20,000 करोड़ रुपये का योगदान करेगा. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत बनाने के आह्वान के अनुरूप इस नीलामी प्रक्रिया का लक्ष्य देश की ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भरता हासिल करना और औद्योगिक विकास को तेज करना है.
मोदी ने कहा कि कोयला और खनन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, पूंजी और प्रौद्योगिकी लाने के लिए इसे पूरी तरह खोलने का बड़ा फैसला किया गया है. वेदांता समूह के चेयरमैन अनिल अग्रवाल और टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए. मोदी ने उद्योग जगत को संबोधित करते हुए कहा, "उद्योग जगत के जो साथी आज यहां मौजूद हैं, उनको मैं फिर से एक बार विश्वास दिलाना चाहता हूं, मैं आपके साथ हूं. देश हित के हर काम में आप दो कदम चलिए, मैं चार कदम चलने के लिए आपके साथ हूं." कोयला और खान मंत्री प्रहलाद जोशी भी इस मौके पर मौजूद रहे. उन्होंने कहा कि देश के कोयला उत्पादन को एक अरब टन तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है.
कोयला क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कोयला मंत्रालय ने फिक्की के साथ मिलकर 41 कोयला ब्लकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की है. यह नीलामी कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम और खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत की गयी है. सरकार के मुताबिक इन कोयला ब्लकों से होने वाला उत्पादन देश के 2025-26 तक अनुमानित कोयला उत्पादन में करीब 15 प्रतिशत का योगदान करेगा. साथ ही इससे 2.8 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा.
इसमें करीब 70,000 लोगों को प्रत्यक्ष और 2.10 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति में वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला ब्लकों की नीलामी का निर्णय किया गया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोविड-19 संकट के लिए राहत पैकेज की घोषणा करते वक्त भी कहा था कि वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला खानों की नीलामी की जाएगी. यह देश में कोयले के घरेलू उत्पादन को बेहतर करेगा और देश की आयात पर निर्भरता कम करेगा.
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