केंद्र में मोदी सरकार के आठ वर्षों के दौरान भारत ने 80 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिए: टीआरएस
तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह देश को कर्ज के जाल में फंसा रही है क्योंकि 2021 तक केंद्र सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कथित तौर पर 61.6 प्रतिशत पहुंच गया है.
हैदराबाद, 29 अक्टूबर : तेलंगाना में सत्तारूढ़ टीआरएस ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर आरोप लगाया कि वह देश को कर्ज के जाल में फंसा रही है क्योंकि 2021 तक केंद्र सरकार का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का कथित तौर पर 61.6 प्रतिशत पहुंच गया है. भाजपा के खिलाफ अपनी पार्टी के राजनीतिक ‘आरोप पत्र’ को जारी करते हुए तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष और मंत्री के. टी. रामाराव ने आरोप लगाया कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के साथ लोगों को मंझधार में छोड़ दिया है. राव ने दावा किया, ‘‘आजादी के बाद विभिन्न प्रधानमंत्रियों के 67 वर्षों के शासन के दौरान देश ने 55.87 करोड़ रुपये कर्ज लिए. 2014 में (भाजपा के) सत्ता में आने के बाद इन आठ वर्षों में (नरेंद्र) मोदी सरकार ने 80 लाख करोड़ रुपये कर्ज लिए.
2014-15 के दौरान केंद्र द्वारा ब्याज भुगतान राजस्व का 36.1 प्रतिशत था, जबकि 2021 के दौरान यह बढ़ कर 43.7 प्रतिशत हो गया.’’ ‘‘आरोप पत्र’’ में आरोप लगाया गया है कि नीति आयोग द्वारा राज्य के हर गांव के लिए सुरक्षित पेयजल परियोजना ‘मिशन भगीरथ’ के लिए 19,000 करोड़ रुपये के वित्त पोषण की सिफारिश के बावजूद, मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 19 पैसे भी नहीं दिए. यह आरोप लगाया गया है कि ‘फ्लोराइड एंड फ्लोरोसिस मिटिगेशन सेंटर’, जिसे चौटुप्पल में स्थापित किया जाना था, उसे किसी अन्य राज्य में ले जाया गया. यह भी पढ़ें : एनसीबी ने मादक पदार्थ मामले में भारती सिंह, उनके पति के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया
टीआरएस ने केंद्र की हथकरघा उत्पादों पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाकर और इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने की योजना के साथ हथकरघा क्षेत्र को अस्तित्व के संकट में धकेलने का आरोप लगाया. ‘आरोप पत्र’ में यह भी दावा किया गया है कि केंद्र राज्यों को कृषि पंप सेट पर मीटर लगाने के लिए मजबूर कर अतिरिक्त कर्ज के नाम पर ‘ब्लैकमेल’ कर रहा है.
‘आरोप पत्र’ में यह भी आरोप लगाया गया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पांच साल बाद भी अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण विधेयक को मंजूरी नहीं देकर तेलंगाना की अनुसूचित जनजातियों के साथ अन्याय किया.