जरुरी जानकारी | भारत 2021 में एफडीआई के मामले में शीर्ष 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में : संयुक्त राष्ट्र

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. संयुक्त राष्ट्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2021 में 19 अरब डॉलर घटकर 45 अरब डॉलर रहा। हालांकि इसके बावजूद देश एफडीआई के मामले में शीर्ष 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है।

संयुक्त राष्ट्र, नौ जून संयुक्त राष्ट्र ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 2021 में 19 अरब डॉलर घटकर 45 अरब डॉलर रहा। हालांकि इसके बावजूद देश एफडीआई के मामले में शीर्ष 10 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में बना हुआ है।

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (अंकटाड) की विश्व निवेश रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर पिछले साल एफडीआई सुधरकर महामारी-पूर्व स्तर पर आ गया और करीब 1,600 अरब डॉलर रहा।

हालांकि, एफडीआई को लेकर इस साल संभावना अच्छी नहीं है। वर्ष 2022 और उसके बाद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण सुरक्षा तथा मानवीय संकट, इससे उत्पन्न वृहत आर्थिक झटकों, ऊर्जा और खाद्य पदार्थों के दाम में तेजी तथा निवेशकों में अनिश्चितता से प्रभावित होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने 2020 में 64 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया था। यह 2021 में घटकर 45 अरब डॉलर पर आ गया। लेकिन इसके बावजूद भारत एफडीआई के मामले में 10 प्रमुख देशों में शामिल है। अमेरिका, चीन, हांगकांग, सिंगापुर, कनाडा और ब्राजील के बाद भारत सातवें स्थान पर है। दक्षिण अफ्रीका, रूस और मेक्सिको भी एफडीआई पाने के मामले में शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘एफडीआई प्रवाह भले ही घटकर 45 अरब डॉलर पर आ गया, लेकिन नये अंतरराष्ट्रीय परियोजना वित्त को लेकर कई सौदे हुए हैं। इसके तहत 108 परियोजनाओं के लिये समझौते हुए जबकि पिछले 10 साल में इसकी संख्या औसतन 20 थी। सबसे अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की 23 परियोजनाओं को लेकर समझौते हुए।

बड़ी परियोजनाओं में आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील का 13.5 अरब डॉलर के निवेश से भारत में एक स्टील और सीमेंट कारखाना लगाना तथा सुजुकी मोटर का 2.4 अरब डॉलर के निवेश से एक नये कार विनिर्माण संयंत्र का निर्माण शामिल है।

वहीं दक्षिण एशिया मुख्य रूप से भारत से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 43 प्रतिशत बढ़कर 16 अरब डॉलर रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन युद्ध के सभी देशों में आर्थिक विकास और सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को लेकर अंतरराष्ट्रीय निवेश के मामले में दूरगामी प्रभाव होंगे। यह स्थिति ऐसे समय उत्पन्न हुई है जब दुनिया कोरोना महामारी के प्रभाव से उबर रही थी।

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