वाशिंगटन, 13 अक्टूबर भारत उन चार देशों में से एक है जिन्होंने अमेरिका के बाइडन प्रशासन द्वारा रैंसमवेयर से निपटने के लिए बुलाई गई अपनी तरह की पहली अंतरराष्ट्रीय बैठक पर विषय आधारित चर्चा के आयोजन और उसकी अगुवाई करने की स्वेच्छा जताई है। इसमें, साइबर दुनिया की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए चार चरणों वाली रणनीति पर विचार किया जाएगा। व्हाइट हाउस ने बुधवार को यह जानकारी दी।
रैंसमवेयर लूटपाट और धोखाधड़ी के इरादे के साथ बनाए जाने वाले सॉफ्टवेयर को कहते हैं जो कम्प्यूटर प्रणाली पर हमला करते हैं।
दो दिवसीय यह बैठक बृहस्पतिवार को समाप्त होगी। इसमें यूरोपीय संघ के अधिकारियों के अलावा 30 से अधिक देशों के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हो रहे हैं। इस बैठक का उद्देश्य रैंसमवेयर से निपटने के लिए आपसी सहयोग को बढ़ावा देना है। यह इस साझा खतरे से निपटने के लिए साझेदारों और सहयोगियों को एकजुट करने का अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रयास है।
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘इस बैठक का आयोजन भले अमेरिका कर रहा हो लेकिन हम इसे अकेले अमेरिका की पहल के रूप में नहीं देखते। निश्चित ही हम अन्य देशों को भी इस उद्देश्य के लिए साथ ला रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बैठक के आयोजन में कई सरकारों का सहयोग रहा खासकर चार देशों ने विषय आधारित विशेष चर्चा के लिए स्वेच्छा जताई जिनमें भारत ने लचीलापन, ऑस्ट्रेलिया ने अवरोध, ब्रिटेन ने वर्चुअल करंसी और जर्मनी ने कूटनीति विषय को चुना।’’
दो दिवसीय बैठक में भाग लेने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, बुल्गारिया, कनाडा, चेक गणराज्य, डोमिनिक गणराज्य, एस्टोनिया, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, आयरलैंड, इज़राइल, इटली, जापान, केन्या, लिथुआनिया, मैक्सिको, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नाइजीरिया, पोलैंड, कोरिया गणराज्य, रोमानिया, सिंगापुर, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, यूक्रेन, संयुक्त अरब अमीरात और ब्रिटेन शामिल हैं।
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