उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा के पास देश के सबसे ऊंचे औषधि उद्यान का उद्घाटन

उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के समीप स्थित माणा गांव में शनिवार को 11,000 फुट की ऊंचाई पर भारत के सबसे ऊंचे औषधि उद्यान का उद्घाटन किया गया. माणा चीन की सीमा से लगते चमोली जिले में आखिरी भारतीय गांव है और यह हिमालय पर स्थित मशहूर मंदिर बद्रीनाथ के करीब है.

भारत और चीन के जवान I प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: IANS)

देहरादून, 21 अगस्त : उत्तराखंड (Uttarakhand) के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के समीप स्थित माणा गांव में शनिवार को 11,000 फुट की ऊंचाई पर भारत के सबसे ऊंचे औषधि उद्यान का उद्घाटन किया गया. माणा चीन की सीमा से लगते चमोली जिले में आखिरी भारतीय गांव है और यह हिमालय पर स्थित मशहूर मंदिर बद्रीनाथ के करीब है. उत्तराखंड वन विभाग की अनुसंधान शाखा ने माणा वन पंचायत द्वारा दी गयी तीन एकड़ से अधिक की जमीन पर पार्क का विकास किया. मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि औषधि उद्यान में हिमालयी क्षेत्र के ऊंचाई वाले अल्पाइन क्षेत्र की करीब 40 प्रजातियां हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) की लाल सूची के अनुसार, इनमें से कई प्रजातियां खतरे में हैं. इसमें कई औषधीय जड़ी-बूटियां भी शामिल हैं. यह उद्यान चार वर्गों में विभाजित है. इसमें पहले वर्ग में बद्रीनाथ (भगवान विष्णु) से जुड़ी प्रजातियां बद्री तुलसी, बद्री बेर, बद्री वृक्ष और पवित्र वृक्ष भोजपत्र शामिल है. दूसरा वर्ग अष्ठवर्ग प्रजातियों का है जो हिमालयी क्षेत्र में पायी जाने वाली आठ जड़ी-बूटियों का समूह है. इनमें रिद्धि, वृद्धि, जीवक, रिषभक, काकोली, क्षीर काकोली, मैदा और महा मैदा शामिल हैं जो च्यवनप्राश की महत्वपूर्ण सामग्री हैं. यह भी पढ़ें : Rajasthan: अलवर में नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप, आरोपियों के खिलाफ Pocso Act के तहत केस दर्ज

इनमें से चार जड़ी-बूटियां लिली परिवार की और चार ओर्चिड परिवार की हैं. तीसरे वर्ग में हिम कमल की प्रजातियां हैं और इसमें ब्रह्म कमल भी शामिल है जो उत्तराखंड का राजकीय पुष्प भी है. उद्यान में हिम कमल की अन्य प्रजातियों में फेम कमल, नील कमल और कूट भी शामिल हैं. चौथे वर्ग में अतीश, मीठावीश, वनककड़ी और चोरू समेत अल्पाइन प्रजातियां हैं और ये सभी महत्वपूर्ण औषधीय जड़ी-बूटियां हैं तथा इनकी बहुत अधिक मांग रहती है.

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