जरुरी जानकारी | कुछ साल में देश में सालाना 100 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा : डीपीआईआईटी सचिव
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारत में हर साल 70-80 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आ रहा है और आने वाले वर्षों में इसके 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह बात कही है।
नयी दिल्ली, 25 सितंबर भारत में हर साल 70-80 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आ रहा है और आने वाले वर्षों में इसके 100 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने यह बात कही है।
उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने बुधवार को कहा कि विभाग एफडीआई आवेदनों के लिए अनुमोदन प्रक्रियाओं को भी सुव्यवस्थित कर रहा है।
सरकार ने देश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए रक्षा, रेलवे, बीमा और दूरसंचार जैसे क्षेत्रों में मानदंडों को आसान बनाने सहित कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा,“हम बहुत अधिक निवेश प्रवाह का लक्ष्य बना रहे हैं। हमारे पास हर साल लगभग 70 अरब से 80 अरब डॉलर आ रहे हैं। लेकिन उम्मीद है कि कुछ वर्षों में यह बढ़कर कम से कम 100 अरब डॉलर प्रतिवर्ष हो जाएगा।”
भाटिया ने कहा कि अधिकांश क्षेत्रों में एफडीआई को स्वत: मंजूर मार्ग से अनुमति दी गई है, कुछ को छोड़कर जो अभी भी ‘अंकुश’ की श्रेणी में हैं।
पिछले 10 वर्षों (2014-24) में देश में विदेशी निवेश का प्रवाह 667.4 अरब डॉलर रहा है, जबकि 2004-14 के दौरान यह 304.1 अरब डॉलर था।
पिछले 10 वित्त वर्षों (2014-24) में विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 165.1 अरब डॉलर रहा, जो उससे पिछले 10 वित्त वर्षों (2004-14) के दौरान प्राप्त 97.7 अरब डॉलर की तुलना में 69 प्रतिशत अधिक है।
वाहन, दूरसंचार और फार्मास्युटिकल्स क्षेत्रों में सबसे अधिक एफडीआई आया है।
डीपीआईआईटी में अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडेय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान भारत ने 22.49 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 की समान तिमाही में यह 17.56 अरब डॉलर था।
उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि हम पिछले वर्ष की तुलना में बेहतर प्रगति की ओर बढ़ रहे हैं... एफडीआई को उदार बनाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।”
डीपीआईआईटी के अनुसार, टाटा, एलएंडटी और भारत फोर्ज जैसी भारतीय कंपनियों को अरबों डॉलर के रक्षा अनुबंध दिए गए, जिससे रक्षा विनिर्माण के बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिला।
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