देश की खबरें | दिल्ली में हवा की रफ्तार बढ़ने से वायु गुणवत्ता में सुधार, अब भी ‘खराब’ श्रेणी में
एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, दो नवंबर राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को हवा की गति बढ़ने से प्रदूषक तत्वों के बिखर जाने के कारण वायु गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है। वहीं पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं जारी रहीं।

शहर का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 293 रहा जो ‘खराब’’ की श्रेणी में आता है।

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रविवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 364 था। दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषक कणों में पराली जलाने की भागीदारी 40 प्रतिशत रही।

उल्लेखनीय है कि 0 और 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 और 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 और 200 के बीच 'मध्यम', 201 और 300 के बीच 'खराब', 301 और 400 के बीच 'बेहद खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है।

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दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रविवार को आग की घटनाओं को बड़े पैमाने पर देखा गया। इसका प्रभाव दिल्ली-एनसीआर और उत्तर पश्चिम भारत की वायु गुणवत्ता पर पड़ने की संभावना है।

उसने कहा कि मंगलवार को हवा की तेज रफ्तार प्रदूषकों के बिखरने के लिए अनूकूल रहेगी।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की वायु गुणवत्ता निगरानी एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार, सोमवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 16 प्रतिशत थी। यह रविवार को 40 फीसदी पहुंच गई थी जो इस मौसम में सबसे ज्यादा है।

दिल्ली के पीएम 2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी शनिवार को 32 प्रतिशत, शुक्रवार को 19 फीसदी और बृहस्पतिवार को 36 प्रतिशत थी।

‘सफर’ के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल एक नवंबर को दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी 44 प्रतिशत थी जो सबसे ज्यादा थी।

पंजाब के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राज्य में इस मौसम में अबतक 33,165 आग जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं, जबकि इस दौरान हरियाणा में इनकी संख्या 6,034 रही।

नासा से प्राप्त उपग्रह चित्रों में पंजाब और हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पराली इत्यादि जलाने की घटनाओं की पुष्टि हुई।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, सोमवार को हवा की दिशा मुख्य रूप से पश्चिम-उत्तर पश्चिम रही और हवा की अधिकतम गति 18 किलोमीटर प्रति घंटे रही।

शहर में न्यूनतम तापमान 10.8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया है जो इस मौसम का सबसे कम है।

ठंडी हवाओं और कम तापमान के कारण प्रदूषक जमीन के निकट रहते हैं, जबकि वायु की अनुकूल रफ्तार के कारण इनके बिखराव में मदद मिलती है।

इससे पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने पराली जलाए जाने के मुद्दे पर सोमवार को भाजपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है, लेकिन विपक्षी दल इसे मानने को तैयार नहीं।

राय ने पत्रकारों से कहा, “ हम बार बार कहते आए हैं कि दिवाली के आसपास दिल्ली में प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक बढ़ाने के पीछे का कारण पराली जलाना है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस कहती हैं कि दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी चार से छह फीसदी है, जबकि आंकड़े बताते हैं कि यह बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई है।”

दिल्ली में, प्रशासन ने पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित ‘बायो डीकम्पोजर’ का बासमती चावल के खेतों के अलावा सभी खेतों पर छिड़काव किया है, ताकि पराली जलाने से बचा जाए।

राय ने कहा, ‘‘ इसके प्राथमिक नतीजे काफी सकारात्मक हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चार नवम्बर को इसकी जमीनी स्थिति का आकलन करेंगे।’’

प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए दिल्ली सरकार ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय के 2018 के फैसले के मुताबिक दिल्ली में सिर्फ “ग्रीन पटाखे” बनाने, बेचने और इस्तेमाल करने की इजाजत है।

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