आईआईटी रोपड़ ने शवों के अंतिम संस्कार के लिए अलग तरह की भट्ठी तैयार की
कोविड-19 से मृतकों की संख्या बढ़ने के बीच शवों के अंतिम संस्कार के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ ने पर्यावरण अनुकूल भट्ठी तैयार की है. स्टेनलेस स्टील के ढांचे में बनी इस भट्ठी में ऊर्जा की बर्बादी नहीं होती है तथा बहुत कम लकड़ी की जरूरत होती है.
चंडीगढ़, 13 मई : कोविड-19 से मृतकों की संख्या बढ़ने के बीच शवों के अंतिम संस्कार के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रोपड़ ने पर्यावरण अनुकूल भट्ठी तैयार की है. स्टेनलेस स्टील के ढांचे में बनी इस भट्ठी में ऊर्जा की बर्बादी नहीं होती है तथा बहुत कम लकड़ी की जरूरत होती है. संस्थान द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि कंपनी चीमा बॉयलर्स लिमिटेड का भट्ठी तैयार करने में सहयोग मिला है. विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘यह स्टोव पर आधारित प्रौद्योगिकी है जिसके जलने पर पीली लपटें आती है और फिर यह हवा से प्रतिक्रिया कर धुआं रहित नीली लपटों में बदल जाती है.’’ इस तरह की भट्ठी के दोनों तरफ स्टील की तश्तरी में राख को आसानी से निकाला जा सकता है.
आईआईटी रोपड़ के डीन हरप्रीत सिंह ने कहा कि ऐसी भट्ठी में शव का अंतिम संस्कार 12 घंटे के भीतर पूरा हो जाता है.उन्होंने कहा, ‘‘यह 1000 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान पर काम करती है. दोनों तरफ स्टील का ढांचा होने से ऊर्जा का क्षय नहीं होता और लकड़ी की कम खपत होती है.’’ डीन ने कहा, ‘‘आम तौर पर एक शव की अंत्येष्टि के लिए लकड़ी पर 2,500 रुपये की लागत आती है. कई बार गरीब लोग आर्थिक दिक्कतों के कारण शव को अधजली अवस्था में छोड़ देते हैं या नदी में बहा देते हैं.’’ यह भी पढ़ें : कोविड-19 संक्रमित 281 और लोगों की मौत : 17775 नए मरीज
इस तरह की भट्ठी में पहिए भी लगे हैं और बिना किसी मशक्कत के इसे दूसरे स्थान पर भी ले जाया जा सकता है. चीमा बॉयलर्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक हरजिंदर सिंह चीमा ने बताया, ‘‘हमने अंत्येष्टि के लिए सबसे आसान और किफायती विकल्प पेश किया है. जितनी लकड़ियों की जरूरत होती है उससे आधे से भी कम में इसमें अंत्येष्टि हो सकती है और कार्बन उत्सर्जन भी कम होगा.’’ उन्होंने कहा कि एलपीजी के घरेलू गैस सिलेंडर का भी इसमें इस्तेमाल किया जा सकता है.