देश की खबरें | लोकतंत्र व संविधान में विश्वास है तो शांति-अहिंसा विभाग बनाए केंद्र सरकार: गहलोत
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जयपुर, 14 जून राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को कहा कि अगर केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार वास्तव में लोकतंत्र व संविधान में विश्वास रखती है तो उसे भी राजस्थान की तरह शांति व अहिंसा विभाग बनाना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर धर्म के नाम पर चुनाव जीतने का आरोप लगाते हुए गहलोत ने यह भी कहा कि धर्म या जाति के नाम पर चुनाव जीतना आसान है न कि बहादुरी का काम।
वह यहां राजस्थान गांधी दर्शन सम्मेलन के एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने लोकपाल जैसे मुद्दों पर तत्कालीन संप्रग सरकार के खिलाफ आंदोलन में अन्ना हजारे, अरविंद केजरीवाल और बाबा रामदेव को आगे बढ़ाया था लेकिन आज कोई भी लोकपाल, 2जी स्पेक्ट्रम या कोयला घोटाला जैसे अन्य मुद्दों की बात नहीं करता।
गहलोत ने अपनी सरकार द्वारा शांति व अहिंसा विभाग बनाए जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘राजस्थान सरकार में यह विभाग बन गया और हम कहां के कहां पहुंच गए। पूरे देश में, हर राज्य में यह विभाग बनाने की आवश्यकता है। बल्कि केंद्र सरकार में भी यह विभाग बने।’’
उन्होंने कहा, ‘‘राजग सरकार को मैं कहना चाहूंगा कि लोकतंत्र का मुखौटा पहनकर आप राजनीति कर रहे हो यह अलग बात है। (लेकिन) वास्तव में आपका लोकतंत्र में यकीन है तो आप क्यों नहीं केंद्र में शांति व अहिंसा का विभाग बनाते?’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जिस प्रकार अन्ना हजारे, बाबा रामदेव व केजरीवाल को आरएसएस व भाजपा ने आगे किया ... आज कोई 2जी स्पेक्ट्रम, कोयला घोटाले की बात करता है क्या?...लोकपाल को लेकर सबकुछ कर दिया, आज लोकपाल को लेकर कहीं चर्चा होती है क्या देश में? और धर्म के नाम पर सरकार बदल जाती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सवाल यह है कि इस देश में लोकतंत्र की स्थिति क्या है, देश किस दिशा में जा रहा है, किस दिशा में जाएगा, कोई नहीं जानता। जिस प्रकार आरएसएस-भाजपा ने कब्जा किया है ... धर्म के नाम पर बहुत आसान होता है चुनाव जीतना, कोई बड़ी बहादुरी का काम नहीं है। जाति व धर्म ऐसी चीज है जिससे सब कुछ संभव है।’’
केंद्र में सत्तारूढ भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, ‘‘ सवाल यह है कि संविधान की धज्जियां उड़ रही हैं आज। आलोचना पसंद नहीं है इनको। लोकतंत्र में विपक्ष नहीं हो तो पक्ष यानी सरकार क्या है। सरकार तभी है जब सामने विपक्ष भी है। आलोचना सुनने का माद्दा हो। मैं तो यह कहता हूं कि मेरी, मेरी सरकार की आलोचना होती है तो मुझे अच्छा लगता है। हो सकता है कि उसमें ऐसे तथ्य हों जिससे मैं सुधार करूं और मेरी सरकार बेहतर प्रशासन दे पाए तो उसमें दिक्कत क्या है।’’
पृथ्वी
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