Delhi: पति की ड्यूटी के दौरान COVID-19 से मौत, महिला ने मुआवजा राशि नहीं देने का दिल्ली सरकार पर लगाया आरोप
एक महिला ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर दावा किया कि उसके पति पिछले साल कोविड-19 क दौरान सीएटीएस में तैनात थे और वायरस के कारण उनकी जान चली गई थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसे एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने से इनकार कर दिया.
नई दिल्ली: एक महिला ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) का रुख कर दावा किया कि उसके पति पिछले साल कोविड-19 (COVID-19) के दौरान सीएटीएस में तैनात थे और वायरस के कारण उनकी जान चली गई थी लेकिन दिल्ली सरकार ने उसे एक करोड़ रुपये की अनुग्रह राशि देने से इनकार कर दिया. यह मुआवजा वैश्विक महामारी के दौरान ड्यूटी करते हुए जान गंवाने वाले अधिकारियों के परिवारों को देने का वादा किया गया था.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर महिला की याचिका पर अपना जवाब देने को कहा है. महिला ने दलील दी है कि केंद्रीकृत दुर्घटना एवं आघात सेवाएं (सीएटीएस) की कार्यालयी पत्री के अनुसार उसके पति कोविड संबंधी ड्यूटी का निर्वहन कर रहे थे लेकिन राजस्व विभाग का मानना है कि वह ऐसा नहीं कर रहे थे. राजस्व विभाग ने सीएटीएस की ओर से भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें उन्हें अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की गई थी और उपराज्यपाल के समक्ष दायर उनकी अपील को भी खारिज कर दिया गया. यह भी पढ़े: COVID-19: कोरोना की दूसरी लहर में अब तक 420 डॉक्टरों की गई जान, दिल्ली और बिहार में सबसे अधिक मौतें
अपनी याचिका में, महिला ने कहा कि उसके पति दिल्ली अधीनस्था लेखा सेवा कैडर में लेखा अधिकारी थे और उन्हें 2018 में सीएटीएस में प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था. कोविड-19 प्रकोप शुरू होने के बाद, आठ फरवरी से 20 अप्रैल 2020 तक उन्हें सीएटीएस में प्रशासनिक अधिकारी और कार्यालय प्रमुख का प्रभार दिया गया। याचिका में कहा गया कि वह संवितरण अधिकारी के तौर पर अपनी सामान्य ड्यूटी भी कर रहे थे और 20 अप्रैल के बाद भी कोविड संबंधी ड्यूटी निभा रहे थे.
याचिकाकर्ता के पति पिछले साल जून में कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए और पिछली जुलाई उनकी मौत हो गई थी. पिछले साल मई में, दिल्ली सरकार ने कोविड-19 ड्यूटी पर रहते हुए वायरस से जान गंवाने वालों के परिवार को एक करोड़ रुपये देने का फैसला किया था.
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