Amit Shah Manipur Visit: गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में महिला नेताओं, नागरिक संगठनों से की मुलाकात

हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के उद्देश्य से मणिपुर की यात्रा पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कई पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने महिला नेताओं के एक समूह के साथ नाश्ते पर हुई बैठक के साथ की.

Amit Shah Manipur Visit (Photo Credit: Amit Shah/Twitter)

इंफाल, 30 मई: हिंसा प्रभावित मणिपुर में शांति बहाल करने के उद्देश्य से मणिपुर की यात्रा पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कई पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया, जिसकी शुरुआत उन्होंने महिला नेताओं के एक समूह के साथ नाश्ते पर हुई बैठक के साथ की. गृह मंत्री ने लोगों तक पहुंच बनाने की अपनी मुहिम के तहत नागरिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी बैठक की. यह भी पढ़ें: Amit Shah Manipur Visit: मणिपुर के नेताओं से मिलेंगे शाह, दंगा प्रभावित चुराचांदपुर का किया दौरा

शाह ने ट्वीट किया, ‘‘मणिपुर में महिला नेताओं (मीरा पैबी) के समूह के साथ बैठक की. मणिपुर के समाज में महिलाओं की भूमिका के महत्व को दोहराया. मिलकर, हम राज्य में शांति एवं खुशहाली बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’’ गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार शाह ने आज सुबह इंफाल में विभिन्न नागरिक संगठनों के प्रतिनिधिमंडल के साथ भी बैठक की.

सोमवार रात को इंफाल पहुंचने के बाद गृह मंत्री ने मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह, उनके कैबिनेट सहयोगियों और कुछ नेताओं के साथ बैठक की थी. शाह सोमवार से मणिपुर की चार दिन की यात्रा पर हैं और इस दौरान वह हालात का जायजा लेने के लिए कई दौर की सुरक्षा बैठकें करेंगे और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आगे के कदमों पर विचार करेंगे.

मणिपुर में तीन मई को जातीय हिंसा भड़कने के बाद से गृह मंत्री की राज्य की यह पहली यात्रा है.

मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है. कुछ हफ्तों की खामोशी के बाद रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई.

अधिकारियों के अनुसार, संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है. मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी. अनुसूचित जाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे.

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