देश की खबरें | उच्च न्यायालय ने कोविड-19 को लेकर योगी सरकार पर की गंभीर टिप्पणी
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश सरकार को पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने का निर्देश देते हुए सरकार की कार्यशैली पर सोमवार को गंभीर टिप्पणी की।
प्रयागराज, 19 अप्रैल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को लेकर प्रदेश सरकार को पांच शहरों में लॉकडाउन लगाने का निर्देश देते हुए सरकार की कार्यशैली पर सोमवार को गंभीर टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की पीठ ने कहा, ‘‘इस तरह की स्थिति में कोरोना कर्फ्यू के नाम पर रात्रि कर्फ्यू कुछ और नहीं, बल्कि आंख में धूल झोंकने वाला है। इसके जरिए संभवतः यह दिखाने का प्रयास किया गया कि हमारे पिछले आदेश का ख्याल रखा गया है। हम देख रहे हैं कि ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगा रहे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तथ्य से आंख नहीं मूंद सकते कि किंग जॉर्ज अस्पताल और एसआरएन जैसे अन्य अस्पतालों के बड़ी संख्या में डॉक्टरों ने कोरोना संक्रमित होने के बाद खुद को पृथक-वास में कर लिया है। यहां तक कि मुख्यमंत्री लखनऊ में पृथक-वास में हैं। यदि लोकप्रिय सरकार की अपनी खुद की मजबूरियां हैं और वह इस महामारी में लोगों का आवागमन नहीं रोक सकती तो हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते।’’
इसने कहा कि पिछले एक सप्ताह से स्थिति और खराब हुई है तथा यदि चीजों पर अंकुश नहीं लगाया गया तो पूरा तंत्र बैठ जाएगा और राहत ‘वीआईपी एवं वीवीआईपी’ तक ही सीमित रह जाएगी। अदालत ने कहा, ‘‘हम सरकारी अस्पतालों में देख रहे हैं कि आईसीयू में ज्यादातर मरीजों को वीआईपी की सिफारिश पर भर्ती किया जा रहा है। यहां तक कि रेमडेसिवर जैसी जीवनरक्षक दवाएं वीआईपी की सिफारिश पर दी जा रही हैं।’’
इसने कहा कि जहां वीवीआईपी को आरटीपीसीआर रिपोर्ट 12 घंटे में मिल रही है, वहीं आम नागरिक को दो से तीन दिन इंतजार कराया जा रहा है जिससे संक्रमण अन्य परिजनों में फैल रहा है।
पीठ ने कहा कि लोगों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है और कदम उठाना समय की जरूरत है।
इसने कहा, ‘‘किसी भी तरह की कोताही तबाही मचा सकती है। लोगों को इस महामारी से बचाने के लिए हम अपने संवैधानिक दायित्व से पल्ला नहीं झाड़ सकते।’’
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