राज्य की सीमाओं से वकीलों की निर्बाध आवाजाही पर उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया
न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने गृह मंत्रालय और तीन राज्य सरकारों को दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) की याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई की तारीख 20 मई निर्धारित की।
दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) ने सोमवार को केंद्र, दिल्ली, उत्तरप्रदेश और हरियाणा की सरकारों से वकीलों की एक संस्था की याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें उन्हें काम के लिए राष्ट्रीय राजधानी से आने-जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है. न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की पीठ ने गृह मंत्रालय और तीन राज्य सरकारों को दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन (डीएचसीबीए) की याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई की तारीख 20 मई निर्धारित की.
डीएचसीबीए की तरफ से पेश हुई वकील श्रेया सिंघल ने बताया कि वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हुई कार्यवाही के दौरान अदालत ने हरियाणा सरकार के इस रूख का संज्ञान लिया कि उसने ‘वकीलों’ को उस श्रेणी में शामिल किया है जिन्हें साप्ताहिक आवाजाही पास ऑनलाइन जारी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा ने पीठ से कहा कि जांच चौकियों पर मोबाइल फोन पर प्राप्त ई-पास दिखाना पर्याप्त होगा और इसके प्रिंटआउट की जरूरत नहीं होगी. यह भी पढ़े: वकीलों को एनसीआर की सीमा पार नहीं करने देने पर दिल्ली बार काउंसिल उच्च न्यायालय पहुंचा
हरियाणा सरकार के रूख का संज्ञान लेते हुए पीठ ने उत्तरप्रदेश सरकार से कहा कि वह भी दिल्ली से बाहर वकीलों की आवाजाही के लिए इसी तरह की व्यवस्था करे, जिन्हें काम के लिए राष्ट्रीय राजधानी आना पड़ता है. गृह मंत्रालय की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के वकील रिपुदमन सिंह भारद्वाज ने पीठ से कहा कि लोगों की आवाजाही के बारे में केंद्र सरकार ने दिशानिर्देश जारी किए हैं और राज्यों को उसी मुताबिक कदम उठाने हैं. डीएचसीबीए और इसके पदाधिकारियों ने याचिका में दावा किया कि कई वकील दिल्ली से बाहर रहते हैं लेकिन उनके चैंबर या कार्यालय राष्ट्रीय राजधानी में है.
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