देश की खबरें | विधेयकों को मंजूरी में देरी के आरोप से जुड़ी तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई स्थगित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें राज्य के राज्यपाल आर एन रवि पर विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करने का आरोप लगाया गया है।

नयी दिल्ली, 20 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तमिलनाडु सरकार की उस याचिका पर सुनवाई एक दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी जिसमें राज्य के राज्यपाल आर एन रवि पर विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी करने का आरोप लगाया गया है।

अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि तमिलनाडु विधानसभा ने राज्यपाल द्वारा लौटाए गए 10 विधेयकों को फिर से पारित किया है।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमणी की ओर से सुनवाई टालने के आग्रह को मान लिया। पीठ ने कहा, ‘‘पहले हम विधेयकों (पुन: पारित) पर राज्यपाल के निर्णय का इंतजार करते हैं।’’

विधेयकों को मंजूरी देने में देरी पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि मुद्दा यह है कि क्या राज्यपाल के कार्यालय को सौंपे गए संवैधानिक कार्यों के निर्वहन में देरी हुई है।

इस पर एजी ने अदालत के समक्ष कहा कि वर्तमान राज्यपाल ने 18 नवंबर, 2021 को कार्यभार संभाला था और देरी के लिए राज्यपाल को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि कई विधेयकों में कई ‘जटिल मुद्दे’ अंतर्निहित होते हैं।

सरकार के सबसे वरिष्ठ कानून अधिकारी ने उन विधेयकों में से एक का जिक्र किया जो राज्य संचालित विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्तियों को छीनने का प्रावधान करता है।

पीठ ने कहा कि वर्तमान में केवल पांच विधेयक राज्यपाल के समक्ष सहमति के लिए लंबित हैं क्योंकि विधानसभा ने 10 अन्य विधेयकों को फिर से पारित किया है।

पीठ ने कहा, ‘‘दोबारा पारित किये जाने के बाद किसी विधेयक की स्थिति एक अर्थ में धन विधेयक के समान हो जाती है। फिर से पारित विधेयकों पर राज्यपाल को नये सिरे से निर्णय लेने दीजिए।’’

पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 200 का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल किसी विधेयक पर अनुमति दे सकते हैं/अनुमति रोक सकते हैं या राष्ट्रपति के विचार के लिए उसे आरक्षित कर सकते हैं, वह चाहें तो विधेयक को सदन को पुनर्विचार के लिए वापस कर सकते हैं।

पीठ ने सवाल किया कि क्या राज्यपाल विधेयकों को विधानसभा या राष्ट्रपति के पास वापस भेजे बिना इसे अपने पास लंबे समय तक रख सकते हैं, फिर खुद ही कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार कर सकती है।

तमिलनाडु विधानसभा ने राज्यपाल आरएन रवि द्वारा लौटाए गए 10 विधेयकों को कुछ दिनों बाद शनिवार को एक विशेष विधानसभा सत्र के दौरान फिर से पारित कर दिया।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\