देश की खबरें | यूएपीए मामले में खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 10 जनवरी तक स्थगित

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 10 जनवरी तक स्थगित कर दी। फरवरी 2020 में उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगे की साजिश में संलिप्तता के आरोप में खालिद के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है।

नयी दिल्ली, 29 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में बुधवार को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका पर सुनवाई 10 जनवरी तक स्थगित कर दी। फरवरी 2020 में उत्तर पूर्व दिल्ली में हुए दंगे की साजिश में संलिप्तता के आरोप में खालिद के खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया है।

खालिद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. वी. राजू के उपस्थिति नहीं रहने के कारण न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने मामला स्थगित कर दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘मामले में दलील देने वाले वरिष्ठ वकीलों की अनुपस्थिति के कारण याचिकाकर्ता और भारत संघ की ओर से संयुक्त अनुरोध किया गया है। मामले को 10 जनवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करें। इस बीच मामले में पैरवी पूरी की जाए।’’

इस मामले को यूएपीए के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ सूचीबद्ध किया गया था।

उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा ने नौ अगस्त को खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

मामले में खालिद की जमानत याचिका खारिज करने वाले दिल्ली उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर, 2022 के आदेश को चुनौती देने वाली खालिद की याचिका न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और मिश्रा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी।

उच्च न्यायालय ने खालिद की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि वह अन्य सह-अभियुक्तों के साथ लगातार संपर्क में थे और उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही थे।

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि आरोपियों की हरकतें प्रथम दृष्टया गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत ‘‘आतंकवादी कृत्य’’ वाली हैं।

फरवरी 2020 के दंगों का ‘‘मुख्य साजिशकर्ता’’ होने के आरोप में खालिद, शरजिल इमाम और कई अन्य के खिलाफ आतंकवादी रोधी यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। इस दंगे में 53 लोगों की मौत हो गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।

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